Thursday, July 28, 2011

श्रंगार सुहागन के सुहाग के प्रतीक

हिन्दू धर्म में नववधु के लिए कुछ श्रंगार अनिवार्य माना माने गए हैं।है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी इन सभी श्रंगारों को सुहागन के सुहाग का प्रतीक माना गया है। इसीलिए सभी नववधु के लिए ये सोलह श्रंगार बहुत जरूरी और एक तरह का शुभ शकुन माने गए हैं।
बिन्दी - सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिन्दुर से अपने ललाट पर लाल बिन्दी जरूर लगाती है और इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
सिन्दुर - सिन्दुर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है। विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नि की मांग में सिंन्दुर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।
काजल - काजल आँखों का श्रृंगार है। इससे आँखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है।
मेंहन्दी - मेहन्दी के बिना दुल्हन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने हाथों और पैरों में मेहन्दी रचाती है। नववधू के हाथों में मेहन्दी जितनी गाढी़ रचती है, ऐसा माना जाता है कि उसका पति उतना ही ज्यादा प्यार करता है।
शादी का जोडा़ - शादी के समय दुल्हन को जरी के काम से सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा पहनाया जाता है।
गजरा-दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार कुछ फीका सा लगता है।
मांग टीका - मांग के बीचोंबीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिन्दुर के साथ मिलकर वधू की सुन्दरता में चार चाँद लगा देता है। राजस्थान में "बोरला" नामक आभूषण मांग टीका का ही एक रुप है। ऐसी मान्यता है कि इसे सिर के ठीक बीचोंबीच इसलिए पहना जाता है कि वधू शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय लें।
नथ - विवाह के अवसर पर पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेने के बाद में देवी पार्वती के सम्मान में नववधू को नथ पहनाई जाती है।
कर्ण फूल - कान में जाने वाला यह आभूषण कई तरह की सुन्दर आकृतियों में होता है, जिसे चेन के सहारे जुड़े में बांधा जाता है।
हार - गले में पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनबध्दता का प्रतीक माना जाता है। वधू के गले में वर व्दारा मंगलसूत्र (काले रंग की बारीक मोतियों का हार जो सोने की चेन में गुंथा होता है) पहनाने की रस्म की बड़ी अहमियत होती है। इसी से उसके विवाहित होने का संकेत मिलता है।
बाजूबन्द - कड़े के समान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चान्दी का होता है। यह बांहो में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबन्द कहा जाता है।
कंगण और चूडिय़ाँ - हिन्दू परिवारों में सदियों से यह परम्परा चली आ रही है कि सास अपनी बडी़ बहू को मुंह दिखाई रस्म में सुखी और सौभाग्यवती बने रहने के आशीर्वाद के साथ वही कंगण देती है, जो पहली बार ससुराल आने पर उसकी सास ने दिए थे। पारम्परिक रूप से ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूडिय़ों से भरी रहनी चाहिए।
अंगूठी - शादी के पहले सगाई की रस्म में वर-वधू द्वारा एक-दूसरे को अंगूठी पहनाने की परम्परा बहुत पूरानी है। अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है।
कमरबन्द - कमरबन्द कमर में पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती है। इससे उनकी छरहरी काया और भी आकर्षक दिखाई देती है। कमरबन्द इस बात का प्रतीक कि नववधू अब अपने नए घर की स्वामिनी है। कमरबन्द में प्राय: औरतें चाबियों का गुच्छा लटका कर रखती है।
बिछुआ - पैरें के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है। पारम्परिक रूप से पहने जाने वाले इस आभूषण के अलावा स्त्रियां कनिष्का को छोडकर तीनों अंगूलियों में बिछुआ पहनती है।
पायल- पैरों में पहने जाने वाले इस आभूषण के घुंघरूओं की सुमधुर ध्वनि से घर के हर सदस्य को नववधू की आहट का संकेत मिलता है।

Wednesday, July 20, 2011

ग्रह को बलवान बनाने के कुछ उपाय

कई बार कुछ न कुछ नई परेशानी अवश्य ही उत्पन्न हो जाती है . बहुत से कार्य अटक जाते हैं। घर-परिवार में क्लेश, मानसिक तनाव रहता है। सामान्यत: इस प्रकार की सभी परेशानियों की वजह पैसा ही होता है। पर्याप्त धन नहीं है तो कई तरह की समस्याएं आपकों घेर लेंगी। इस प्रकार की परेशानियां विभिन्न ग्रहों की अलग-अलग अशुभ स्थिति के कारण उत्पन्न होती हैं। अपनी राशि से संबंधित ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए एवं ग्रह को बलवान बनाने के लिए कुछ आसान उपाय अपना सकते है।
रत्न - राशि ग्रह के अशुभ प्रभाव को शुभ बनाने के लिए आप अपनी जन्म कुंडली के अनुसार उस ग्रह से संबंधित रत्न पहनें जो अशुभ प्रभाव दे रहा है। रत्न को ग्रह से संबंधित धातु में जड़वा कर अंगूठी, पेन्डेन्ट व ब्रेस्लेट में पहन सकते है। उस रत्न के माध्यम से किरणे शरीर में प्रवेश करके ग्रह को शक्ति प्रदान करती हैं।
जप- किसी भी ग्रह की दुर्बलता को दूर करने के लिए उस ग्रह से सम्बन्धित मन्त्र का जप निश्चित संख्या में करने से उस ग्रह को शक्ति प्राप्त होती है। जप करने से रत्न को भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
यज्ञ- वैदिक विधि के द्वारा ग्रह से सम्बन्धित मन्त्र का अनुष्ठान (हवन-यज्ञ) करने से अशुभ ग्रह भी बलवान होकर शुभ फल देने लग जाता है।
दान- ग्रह विशेष से संबंधित वस्तुओ को दान करने से अशुभ ग्रह के देवता प्रसन्न होकर अच्छा फल देते है।
यन्त्र- जन्मकुण्डली में जो ग्रह कमजोर होता है उससे संबंधित मन्त्र को विशेष मुहूर्त या उस ग्रह की होरा में भोजपत्र पर लिखें या किसी धातु (सोना, चाँदी, ताँबा) इत्यादि पर खुदवाकर सिद्ध कर लें. इस प्रकार सिद्ध किये हुए यन्त्र का नित्य प्रति पूजन करने से भी सम्बन्धित ग्रह में शक्ति का संचार होता है।
व्रत - जो ग्रह कमजोर होता है उससे संबंधित वार को व्रत रखने से व्यक्ति को उस ग्रह का शुभ फल प्राप्त होता है।

Thursday, July 7, 2011

मनचाही दुल्हन मिलेगी

- नवरात्रि में प्रतिदिन सुबह किसी शिव मंदिर में जाएं। वहां शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए उसे अच्छी तरह से साफ करें। फिर शुद्ध जल चढ़ाएं और पूरे मंदिर में झाड़ू लगाकर उसे साफ करें। अब भगवान शिव की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से पूजा-अर्चना करें। रात्रि 10 बजे के पश्चात अग्नि प्रज्वलित कर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए घी से 108 आहुति दें। अब 40 दिनों तक नित्य इसी मंत्र का पांच माला जप भगवान शिव के सम्मुख करें। इससे शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और अच्छे स्थान पर विवाह संबंध तय होगा। यदि विवाह में अड़चने अधिक आ रही हों तो मां जगदंबा का एक चित्र लाल कपड़े पर रखें और उसके सामने चावल से दो स्वस्तिक बनाएं। एक स्वस्तिक पर गणेशजी को विराजमान करें और दूसरे पर गौरी-शंकर रुद्राक्ष को स्थापित करें। यह रुद्राक्ष साक्षात मां पार्वती और भगवान शिव का प्रतीक है। अब इसके सम्मुख निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें और विवाह में आ रही बाधाओं के निवारण और शीघ्र विवाह की प्रार्थना भगवान से करें-
ऊँ कात्यायन्यै नम:अंत में इस रुद्राक्ष को मां गौरी और भगवान शिव का प्रसाद समझकर गले में धारण कर लें। शीघ्र ही आपका विवाह अच्छे स्थान पर तय हो जाएगा।
- गुप्त नवरात्रि में रोज नीचे लिखे मंत्र का जप तीन माला करें। जप से पूर्व मां दुर्गा की पंचोपचार पूजा करें और उन्हें लाल रंग का सुगंधित पुष्प अवश्य चढ़ाएं। इसके प्रभाव से शीघ्र ही आपका विवाह अच्छे स्थान पर तय हो जाएगा-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीं तारिणीं दुर्ग संसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।
नवरात्र के गुरुवार को पीले रंग का एक रुमाल मां दुर्गा को चढ़ाएं और पूजन के पश्चात यह रूमाल अपने साथ रखें। यह मां दुर्गा के प्रसादस्वरूप है। अब इसे आपको सदैव अपने साथ रखना है। शीघ्र आप देंखेंगे कि आपकी मनोकामना पूर्ण हो गई है।