भाग्य में भवन निर्माण की संभावना है या नहीं इसकी जानकारी जन्मकुण्डली से मिल सकती है।
जैसे-
भूमि का ग्रह मंगल है। जन्मकुण्डली काचौथा भाव भूमि व भवन का है। इसके स्वामी (चतुर्थेश) का केंद्र त्रिकोण में होना उत्तम भवन प्राप्ति का योग दर्शाता है। जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी(चतुर्थेश) किसी शुभ ग्रह के साथ युति करके 1,4,5,7,9, 10 वें भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को स्वश्रम से निर्मित भवन प्राप्त होता है। जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी (चतुर्थेश) एवं लग्न का स्वामी(लग्नेश) चौथे भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अचानक निर्मित भवन की प्राप्ति होती है.जन्म कुण्डली के तीसरे भाव का स्वामी या तृतीय भाव का कारक मंगल चौथे भाव के स्वामी के साथ स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को भाई से भूमि या भवन मिलता है।
जन्म कुण्डली में शुक्र चौथे भाव में और चौथे भाव का स्वामी सातवें भाव में स्थित हो और दोनों परस्पर मित्र हों तो ऐसे जातक को स्त्री के द्वारा भूमि प्राप्त होती है। जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी व दसवें भाव का स्वामी एक साथ युति करके शनि एवं मंगल के साथ हो तो ऐसे व्यक्ति के पास कई भवन होते हैं। पहले व सातवें भाव का स्वामी पहले (लग्न) भाव में हो तथा चौथे भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को बिना प्रयास के भवन प्राप्त होता है।
Saturday, March 5, 2011
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