श्रेष्ठ मुहूर्त देखकर उस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त हो लें। अब स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें और उसके ऊपर पीला वस्त्र भी अवश्य पहनें। घर के किसी शांत कमरे में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ऊन के आसन पर चावल बिखेरें। इन चावलों पर मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का सम्मिलित चित्र स्थापित करें। इसके बाद पंचामृत का तिलक करें और आरती उतारें। तीन हकीक और सात गोमती चक्र अर्पित करें। फूल चढ़ाएं और मावे का प्रसाद चढ़ाएं। धूप-दीप और अगरबत्ती दिखाएं। अब इस हकीक की माला से इस मंत्र का 1188 बार उच्चारण करें अर्थात 21 माला।
ऊँ श्रीं कृं क्षौं सिद्धये ऊँ
मंत्र जपते समय बीच में किसी से कोई बात न करें। अब मां लक्ष्म, मां सरस्वती और गणपति देव का स्मरण करें और प्रार्थना करें कि आपका भविष्य उज्जवल हो, आपको सफलता मिले और सौभाग्य की प्राप्ति हो। साधना समाप्ति के बाद पूजन सामग्री किसी लक्ष्मी मंदिर में चढ़ा दें। चित्र पूजाघर में स्थापित कर प्रसाद बांट दें।
Tuesday, May 17, 2011
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