Wednesday, May 25, 2011

बुधवार के साथ अष्टमी

श्री गणेश की उपासना के लिए ही बुधवार का विशेष महत्व है। वहीं बुधवार के साथ अष्टमी का योग बहुत ही शुभ बताया गया है। क्योंकि अष्टमी तिथि के स्वामी शिव हैं, जो भगवान गणेश के पिता हैं। इसलिए आज (25 मई) बुधवार-अष्टमी के इस शुभयोग में शिव उपासना सांसारिक इच्छाओं को शीघ्र पूरा करने वाली और गणेश का स्मरण इन कामनाओं की बाधाओं का नाश करने वाली होगा। अगर आप भी जीवन से जुड़ी कामनाओं को पूरा करने और उनमें आने वाले विघ्रों को दूर करना चाहते हैं तो शास्त्रों में बताए भगवान गणेश के इन विशेष नामों का स्मरण और शिव पूजा के नीचे बताए तरीके को अपनाकर बहुत ही शुभ फल पा सकते हैं . सुबह स्नान कर शिव या गणेश मंदिर में भगवान गणेश की पूजा में गंध, अक्षत, पीले फूल, पीले वस्त्र, दूर्वा, सिंदूर और मोदक का भोग अर्पित कर नीचे लिखे गणेश मंत्र का ध्यान करें -

गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।


इसमें भगवान गणेश के बारह नामों का स्मरण है। संस्कृत भाषा पढऩे में असुविधा होने पर - गणपूज्य, वक्रतुण्ड, एकदंष्ट्र, त्रियम्बक (त्र्यम्बक), नीलग्रीव, लम्बोदर, विकट, विघ्रराज, धूम्रवर्ण, भालचन्द्र, विनायक और हस्तिमुख ये 12 गणेश नाम भी बोल कर भी पूजा की जा सकती है। इसी तरह शिवलिंग पर दूध मिला जल अर्पित कर शिव की पंचोपचार पूजा में गंध, अक्षत, फूल, बिल्वपत्र, आंकड़े के फूल अर्पित करें और पंचाक्षरी मंत्र 'नम: शिवाय' का ही जप कर लें। भगवान गणेश और शिव की पूजा के बाद गणेश और शिव आरती धूप और घी के दीप जलाकर करें। आरती के बाद क्षमाप्रार्थना करें. शिव-गणेश से जीवन की तमाम परेशानियों को दूर रखने या संकटमुक्ति की कामना करें। धार्मिक दृष्टि से बुधवार और अष्टमी के शुभ योग में शिव-गणेश की ऐसी पूजा, आरती और प्रार्थना संकटमुक्त जीवन देने वाली मानी गई है।

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