Wednesday, June 1, 2011

बहुत ही पुण्य और संकटनाशक योग

बुधवार बुध ग्रह दोष शांति और श्री गणेश उपासना से विघ्रनाश और बुद्धि, समृद्धि पाने का बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। बुध को शनि का मित्र ग्रह भी माना गया है।
शनि जयंती के साथ बुधवार बहुत ही पुण्य और संकटनाशक योग है। पुराणों के मुताबिक भगवान गणेश के जन्म के बाद जब शनिदेव की शापित नजर से श्री गणेश का सिर धड़ से अलग हो गया और वह गजमुख बने, तब माता पार्वती द्वारा दिये गए अंगरहित हो जाने के शाप से रक्षा के लिए शनिदेव ने भी गणेश की उपासना की।
शनि दोष से बचने के लिए भी भगवान श्री गणेश की स्तुति बहुत ही प्रभावी मानी गई है। खासतौर पर बुधवार और शनि जयंती की घड़ी में गणेश गायत्री के अलग-अलग मंत्रों और शनि का ध्यान शनि पीड़ा से रक्षा करेगा - सुबह और शाम दोनों वक्त स्नान कर नवग्रह मंदिर में या घर के देवालय में भगवान गणेश और शनि की पूजा करें। शनि प्रतिमा को तिल का तेल चढ़ाएं और शनि का नीचे लिखे मंत्र से ध्यान करें, गंध, अक्षत, फूल अर्पित करें। तिल के पकवान चढ़ावें।

नीलांबुज समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं शनिमावाह्याम्यहम्।।

भगवान गणेश की प्रतिमा की भी लाल चंदन, अक्षत, दूर्वा, फूल, सिंदूर, मोदक का भोग चढ़ाकर पूजा करें। पूजा के बाद नीचे लिखें गणेश गायत्री मंत्रों में सभी या एक का जप कर शनि पीड़ा के साथ जीवन में विघ्रों से रक्षा की कामना करें -

- ॐ तत्कराटाय विद्महे। हस्तिमुखाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।
- ॐ लम्बोदराय विद्महे। महोदराय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।
- ॐ महोल्काय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।

अंत में शनि और गणेश की आरती करें।

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