रामचरित मानस का पाठ भगवान श्रीराम के साथ-साथ अनेक देव शक्तियों की उपासना और साधना है। इसलिए इसकी हर चौपाई बहुत ही शुभ और मंगलकारी मानी गई है। धार्मिक महत्व की दृष्टि से मानस की इन चौपाईयों के स्मरण और पाठ से ही अनेक व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और समस्त सांसारिक सुखों और कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सांसारिक सुखों की बात करें तो संतान सुख अहम माना जाता है। खासतौर पर पुत्र प्राप्ति हर दंपत्ति की कामना होती है। रामचरित मानस में विशेष कामनापूर्ति के लिए भी अलग-अलग चौपाईयों के जप का महत्व है। इसी कड़ी में पुत्र प्राप्ति की कामना से इस चौपाई का यथाविधि पाठ बहुत ही प्रभावी माना गया है। जानते हैं यह चौपाई और इसके पाठ की आसान विधि -
चौपाई -
प्रेम मगन कौसल्या निसि दिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान॥- इस चौपाई का जप करने के लिए भगवान राम और माता सीता की मूर्ति या राम दरबार की तस्वीर सामनें रखें। - मूर्ति या तस्वीर पर गंध, अक्षत, सुगंधित फूल चढाएं। - मन ही मन पुत्र प्राप्ति की कामना का संकल्प करें। - घी का दीप और धूप या अगरबत्ती जलाकर तुलसी की माला से 108 बार इस चौपाई का जप करें। - जप के बाद फल या मिठाई का भोग लगाएं। श्रीराम की आरती श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। - धार्मिक मान्यता है कि इस चौपाई का जप अन्य धार्मिक उपायों या मंत्र की तरह ही प्रभावी होकर मनोरथ पूर्ति करता है।- समय होने पर रामचरित मानस का पाठ भी मनोकामना पूर्ति के लिए श्रेष्ठ होता है।
Thursday, December 2, 2010
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