सनातन धर्म की खासियत है कि वह इंसान का धर्म के माध्यम से प्रकृति के साथ गहरा संबंध बनाती है। इसी परंपरा में ब्रह्मांड में स्थित सभी ग्रह, नक्षत्रों को ईश्वर मानकर उनकी पूजा और उपासना के विधान शास्त्रों में बताए गए। इन उपायों से इंसान को सुखों की कामना पूर्ति के साथ पीड़ाओं और कष्टों से मुक्ति की राह भी मिली।
इसी कड़ी में बुधवार के दिन बुध ग्रह की देव रुप में उपासना का महत्व है। पौराणिक और ज्योतिष विज्ञान में बुध का महत्व बताया गया है। पुराणों में बुध ग्रह, चंद्र देव और तारा की संतान है। लिंग पुराण के अनुसार बुध चंद्रमा और रोहिणी की संतान माने जाते हैं। जबकि विष्णु पुराण बुध चंद्रमा और बृहस्पति की पत्नी तारा की संतान है। बुध देव चार भुजाओं वाले हैं और उनका वाहन सिंह है।ज्योतिष विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह बुद्धिमत्ता और वाकपटुता का निर्धारक है। बुध के शुभ प्रभाव से किसी भी व्यक्ति को विद्वान, शिक्षक, कलाकार और सफल व्यवसायी बना सकता है।कड़ी प्रतियोगिता के दौर में आज का युवाओं के लिए भी मजबूत मानसिक क्षमताओं का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि अच्छे कॅरियर बनाने के लिए शिक्षा व ज्ञान बहुत अहम है। अगर आप भी तेज दिमाग, मानसिक शक्ति, एकाग्रता चाहें तो बुधवार के दिन बुध देव की प्रसन्नता के यह मंत्र जप जरूर करें -
- सुबह स्नान कर किसी नवग्रह मंदिर या घर के देवालय में बुधदेव की मूर्ति की पंचोपचार पूजा करें। - पूजा में खासतौर पर हरी पूजा सामग्री भी चढ़ाएं। गंध, अक्षत, फूल के अलावा हरे वस्त्र अर्पित करें। गुड़, दही और भात का भोग लगाएं।- धूप और अगरबत्ती, दीप जलाकर पूजा-आरती करें।- पूजा या आरती के बाद बुध देव का बीज मंत्र ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: या ऊँ बुं बुधाय नम: का यथाशक्ति मंत्र जप करें। - कम से कम 108 बार मंत्र जप अवश्य करें।
Thursday, December 30, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment