जन्मकुंडली में चार केंद्र स्थान होते हैं। कुंडली में केन्द्र स्थान किसी भी व्यक्ति के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालते है . कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव को केन्द्र भाव माना गया है। पहले भाव को स्वयं के तन का, चौथे भाव को सुख का, सप्तम भाव को वैवाहिक जीवन का और दसवें भाव को कुंडली में कर्मभाव माना गया है।यदि इन चारों भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो जातक धनवान होता है। वहीं केंद्र में उच्च के पाप ग्रह बैठे हो तो जातक राजा तो होता ही है पर वह धन से हीन होता है।
- बुध के केंद्र में होने से अध्यापक तथा गुरु के केंद्र में होने से विज्ञानी।
- शुक्र के केंद्र में होने पर धनवान तथा विद्यावान होता है।
- शनि के केंद्र में होने से नीच जनों की सेवा करने वाला होता है।
- यदि केन्द्र में उच्च का सूर्य यदि उच्च हो तथा गुरु केंद्र में चतुर्थ स्थान पर बैठा हो तो जातक आधुनिक केंद्र या राज्य में मंत्री पद को प्राप्त करता है।
- सूर्य के केंद्र में होने से जातक राजा का सेवक, चंद्रमा केंद्र में हो तो व्यापारी, मंगल केंद्र में हो तो व्यक्ति सेना में कार्य करता है।
अगर केन्द्र में कोई ग्रह ना बैठे हों तो ऐसी कुंडली को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कर्ज से हमेशा परेशान रहता है। इसके लिए नीचे लिखे उपाय करना जातक के लिए फायदेमंद रहता है।
- शिवजी की उपासना करें।- सोमवार का व्रत करें।
- भगवान शिव पर चांदी का नाग अर्पण करें।
- बिल्व पत्रों से 108 आहूतियां दें।
Wednesday, December 22, 2010
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santosh pusadkarकन्या लग्न कुंडली है. केतू दिव्तीय मै , शनी तृतीय ,गुरु पंचम बुध शुक्र.चंद्र सप्तम मै , रवी राहू अष्टम मै. मंगल नअवं मै है . कृपया मागदर्शन करे.
ReplyDeleteजय महाकाल
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