शिव का महामृत्यंजय रूप पीड़ा और दु:खों से मुक्त कर सुख और आनंद देने वाला माना गया है। शिव के इस कल्याणकारी रूप की भक्ति और साधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र के जप को बहुत ही शुभ और सिद्ध माना गया है। पुराणों में इसे मृत संजीवनी मंत्र बताया गया है। इस मंत्र के असर और शक्ति का महत्व दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने महर्षि दधीचि को बताया था।धार्मिक मान्यताओं में महामृत्युंजय मंत्र ऐसा सिद्ध मंत्र जिसके जप या उच्चारण मात्र से ही कड़ी से बड़ी विपत्ति से छुटकारा मिल जाता है। यह मंत्र न केवल अकाल मौत और मृत्यु भय से बचाता है। बल्कि इसके जप मात्र से कुंटुब की भी रोगों और और शत्रुओं से रक्षा भी होती है। दौलत, वैभव, मान-सम्मान भी इस मंत्र के प्रभाव मिल जाता है।शिव उपासना के विशेष दिन सोमवार, प्रदोष, अष्टमी, चतुर्दशी पर शिव पूजा के साथ इस मंत्र का जप बहुत ही सिद्ध माना जाता है। महामृत्युंजय का यह सिद्ध मंत्र इस प्रकार है -
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
इस मंत्र के जप की अलग-अलग प्रयोजन के लिए नियत संख्या बताई गई है। जिसे किसी विद्वान ब्राह्मण से विधि-विधान, हवन और ब्रह्मभोज के साथ कराया जाना शास्त्रों के मुताबिक सुनिश्चित फल देता है।
Saturday, January 1, 2011
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