सूर्य को ज्योतिष के अनुसार सूर्य को पाप ग्रह और पुरूष ग्रह भी कहा गया है। जन्मकुंडली के जिस भी भाव में सूर्य बैठा होता है उसका अलग फल मिलता है। सूर्य को यश का कारक माना गया साथ ही यह कार्य क्षेत्र को बहुत प्रभावित करता है। अगर जन्मकुंडली में सूर्य जिस भाव में बैठा हो उसके अनुसार उपाय करें तो अशुभ सूर्य को शुभ बनाया जा सकता है।
प्रथम भाव में सूर्य - अगर सूर्य पहले भाव में हो तो उसे शुभ बनाने के लिए 24 वर्ष के बाद शादी करनी चाहिए. व्यक्ति को अपने मान मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए किसी के आगे व्यर्थ नहीं झुकना चाहिए।
द्वितीय भाव में सूर्य - सूर्य द्वितीय भाव में हो तो दूसरा भाव कुटुम्ब का होता है। इसलिए सूर्य का प्रबल बनाने के लिए कुटुम्बीजनों से आशीर्वाद लेना चाहिए। व्यक्ति को दूसरे का धन नहीं लेना चाहिए।अगर उपहार में भी धन प्राप्त हो तो उससे भी परहेज करना चाहिए।
तृतीय भाव में सूर्य- सूर्य तीसरे घर में अशुभ होकर बैठा हो तो चारित्रिक दुर्बलताओं से स्वयं को बचाकर रखना चाहिए। रविवार के दिन तांबे का पात्र मन्दिर में दान करने से सूर्य का मन्दा फल दूर होता है। रविवार के दिन चांदी का चौकोर टुकड़ा धारण करने से भी सूर्य शुभ फल देने लगता है।
चतुर्थ भाव में सूर्य- चौथे भाव में सूर्य अशुभ होकर बैठा हो तो व्यक्ति को अपना मन शांत रखना चाहिए। कलह और विवाद में उलझना हानिप्रद होता है. बुजुर्गों का अशीर्वाद लेना चाहिए, लोहे और मशीनरी के काम में लाभ की संभावना नहीं रहती, बल्कि व्यक्ति को नुकसान होता है अत: इन वस्तुओं के कारोबार से बचना चाहिए।
पांचवे भाव में सूर्य- पांचवें भाव में सूर्य हो तो उसके लिए घर में पूर्व और उत्तर दिशा में रोशनदान रखना चाहिए, सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को दूसरों की सहायता के लिए आगे आना चाहिए।
छठे भाव में सूर्य- छठे भाव में सूर्य होने पर उसके अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए बन्दर को गुड़ खिलाएं । घर में नदी का जल रखने से सूर्य का शुभ फल प्राप्त होता है। चीटियों को चीनी डालने से सूर्य का मंदा प्रभाव नहीं प्राप्त होता है।
सातवें भाव में सूर्य- सूर्य सातवें घर में मंदा होकर बैठा हो तो चांदी का चौकोर टुकड़ा ज़मीन में दबाने से अशुभ फल दूर होता है। इस भाव में मंदे सूर्य को नेक बनाने के लिए आदित्य हृदयस्तोत्र एवं हरिवंश पुरण का पाठ करना चाहिए। सींग वाली गाय की सेवा करनी चाहिए। बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
आठवें भाव में सूर्य- अगर सूर्य आठवें घर में अशुभ फल दे रहा हो तो इसे नेक बनाने के लिए बरसात का पानी जमा करके घर के पूर्व दिशा में रखना चाहिए। किसी कार्य को शुरू करने से पहले मीठी वस्तुओं का सेवन करना चाहिए किसी भी काम में असामाजिक और अनैतिक आचरण वाले लोगों की सहायता नहीं लेनी चाहिए।
नवम भाव में सूर्य- सूर्य अगर नवम घर में मंदा हो तो मनोकामना पूर्ति के लिए भूमि पर सोना चाहिए। सूर्य के अशुभ प्रभाव से बचाव हेतु घर में टूटे फूटे बर्तनो को नहीं रखना चाहिए, अपने स्वभाव को सामान्य रखना चाहिए न तो अधिक गुस्सा करना चाहिए और न ही अधिक शांत होना चाहिए।
दशम भाव में सूर्य- दसवें घर में बैठा सूर्य अगर अशुभ फल दे रहा हो तो सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए 43 दिनो तक तांबे का सिक्का नदी मे प्रवाहित करना चाहिए। आदित्य हृदय स्तोत्र और हरिवंश पुराण का पाठ शुभ फलदायी होता है। सूर्य को अघ्र्य देना भी शुभ होता है।
एकादश भाव में सूर्य- सूर्य एकादश भाव में अशुभ हो तो व्यक्ति को मांस मदिरा के सेवन से परहेज रखना चाहिए।कल पूर्जे वाले सामान, मशीन आदि खराब हो गए हों तो उसे ठीक करा लेना चाहिए अन्यथा घर में नहीं रखना चाहिए ।
द्वादश भाव में सूर्य- बाहरवे भाव में शुभ प्रभाव पाने के लिए नदी में चौसठ दिनों तक लगातार गुड़ प्रवाहित करना चाहिए।
Tuesday, January 25, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment