आदिशक्ति के तीन रूपों महादुर्गा, महालक्ष्मी और महासरस्वती की उपासना का विशेष विधान है। इनमें माता सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है। व्यावहारिक रूप से विद्या और ज्ञान चरित्र और व्यक्तित्व विकास के लिए अहम बताया गया है। विद्या से विनम्रता, विनम्रता से पात्रता, पात्रता से धन और धन से सुख मिलता है। सार यही है कि माता सरस्वती का ध्यान, स्मरण या पूजा मानसिक रूप से सेहतमंद, मजबूत और दृढ बनाती है।शुक्रवार का दिन देवी पूजा का विशेष दिन होता है। इस दिन देवी के किसी भी रूप की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। इसलिए इस दिन सफलता के लिए बुद्धि और विद्या की कामना से सरस्वती पूजा प्रभावी होती है। जानते हैं इस दिन के लिए सरस्वती की सामान्य पूजा विधि और विशेष प्रार्थना-
- सुबह स्नान कर पवित्र आचरण, वाणी के संकल्प के साथ सरस्वती की पूजा करें।- पूजा में गंध, अक्षत के साथ खासतौर पर सफेद और पीले फूल, सफेद चंदन, वस्त्र देवी सरस्वती को चढ़ाएं।- प्रसाद में खीर, दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, घी, नारियल, शक्कर व मौसमी फल चढ़ाएं।- इसके बाद माता सरस्वती की इस स्तुति से बुद्धि और कामयाबी की कामना कर घी के दीप जलाकर माता सरस्वती की आरती करें -
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।1।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।
Thursday, January 27, 2011
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