दुनिया की कुल आबादी का 40 प्रतिशत भाग हमेशा क्रूर ग्रह शनि देव की गिरफ्त में रहता है। हर समय 5 राशियों के लोग सीधे-सीधे शनि से प्रभावित रहते हैं। शनि को न्याय का देवता माना जाता है लेकिन शनिदेव अति क्रूर ग्रह है। यदि किसी व्यक्ति से कोई गलत और अधार्मिक कार्य हो गया है तो शनि उसके पाप का बुरा फल जरूर देता है। यह फल शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के समय व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह प्रभावित करता है। शनि का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है लेकिन इसका 5 राशियों पर अत्यधिक सीधा प्रभाव होता है। शनि एक मात्र ऐसा ग्रह है जो सीधे-सीधे एक साथ पांच राशियों को पूरी तरह प्रभावित करता है। इन राशियों में तीन राशियों पर शनि की साढ़े साती होती है और दो राशियों पर शनि की ढैय्या। ज्योतिष के अनुसार दुनिया की आबादी 12 राशियों में ही विभाजित है। अत: 12 में से 3 राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और 2 राशियों पर शनि ढैय्या हर समय चलती रहती है। साढ़ेसाती और ढैय्या में शनि की सीधी नजर संबंधित राशि पर ही रहती है।
शनि की साढ़ेसाती: शनि की साढ़ेसाती का मतलब यह है किसी राशि को शनि साढ़े सात साल तक प्रभावित करता है। वैसे तो शनि किसी भी राशि में ढाई वर्ष (2 साल 6 माह) ही रुकता है परंतु इसका प्रभाव आगे और पीछे वाली राशियों पर भी पड़ता है। इस तरह प्रति राशि के ढाई वर्ष के अनुसार एक राशि को शनि साढ़े सात वर्ष प्रभावित करता है। शनि की साढ़ेसाती को तीन हिस्सो में विभक्त किया जाता है। एक-एक भाग ढाई-ढाई वर्ष का होता है।
शनि की ढैय्या: शनि की ढैय्या अर्थात् किसी राशि पर शनि का प्रभाव ढाई साल तक रहना। शनि जिस राशि में स्थित है उस राशि से ऊपर की ओर चौथी राशि और नीचे की ओर छठी राशि में भी शनि की ढैय्या रहती है। अभी शनि कन्या राशि में स्थित है और उसकी ढैय्या मिथनु और कुंभ पर भी चल रही है।
किसी व्यक्ति से कोई गलत और अधार्मिक कार्य हो गया है तो शनि उसके पाप का बुरा फल जरूर देते है। यह फल शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के समय व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह प्रभावित करता है।शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए काले कुत्ते को रोटी दी जाती है। लेकिन शनि के अशुभ फल को दूर करने के लिए काले कुत्ते को ही चपाती क्यों दें? यह जिज्ञासा अक्सर लोगों के मन में होती है और जब उन्हें इसका उचित जवाब नहीं मिलता तो वे इसे अंधविश्वास मान लेते हैं। दरअसल इस उपाय को करने का कारण यह है शनि को श्याम वर्ण माना जाता है अर्थात् शनि देव स्वयं काले रंग के हैं और वे काले रंग के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही वराह संहिता के अनुसार काले कुत्ते को शनि का वाहन माना गया है। शनि को सेवा करने वाले और वफादार लोग पसंद होते हैं और काले कुत्ते में ये दोनों ही गुण होते हैं इसलिए शनि को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को तेल से लगी हुई चपाती देने की मान्यता है।
Wednesday, February 16, 2011
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