हमारा नौ ग्रहों की स्थितियों के पर निर्भर करता है। कुंडली 12 भागों में विभक्त रहती है, इन 12 भागों में नौ ग्रहों की अलग-अलग स्थितियां रहती हैं। सभी ग्रहों के शुभ-अशुभ फल होते हैं। हमारी कुंडली में जो ग्रह अच्छी स्थिति में होता है वह हमें अच्छा और अशुभ स्थिति में बुरा फल देते हैं। सूर्य ग्रह हमें तेज, यश, मान-सम्मान प्रदान करता है। सूर्य शुभ होने पर हमें समाज में प्रसिद्धि मिलती है वहीं सूर्य के अशुभ होने पर अपमान जैसे विपरित प्रभाव होते हैं।
चंद्र: चंद्र का संबंध हमारा मन से बताया गया है। चंद्र अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति शांत होता है लेकिन अशुभ चंद्र व्यक्ति को पागल तक बना सकता है।
मंगल: मंगल हमारे धैर्य और पराक्रम को नियंत्रित करता है। शुभ मंगल हो तो व्यक्ति कुशल प्रबंधक होता है।
बुध: बुध ग्रह हमारी बुद्धि और बोली को प्रभावित करता है। शुभ बुध होने पर हमारी बुद्धि शुद्ध और पवित्र होती है लेकिन अशुभ होने पर विपरित प्रभाव होते हैं।
गुरु: गुरु ग्रह हमारी धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है।
शुक्र: शुक्र से प्रभावित व्यक्ति कलाप्रेमी, सुंदर और ऐश्वर्य प्राप्त करने वाले होता है।
शनि: जिस व्यक्ति की कुंडली शुभ अवस्था में हो वह सभी सुखों को प्राप्त करने वाला, श्याम वर्ण, शक्तिशाली होता है। शनि अशुभ होने पर कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
राहु: जिस व्यक्ति की कुंडली राहु बलशाली होता है वह कठोर स्वभाव वाला, प्रखर बुद्धि, श्याम वर्ण होता है। इसके अशुभ होने पर बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
केतु: केतु शुभ हो तो व्यक्ति को कठोर स्वभाव, गरीबों का हित करने वाला, श्याम वर्ण होता है।
यह सभी प्रभाव अन्य ग्रहों की युति और कुंडली में अलग-अलग भावों से बदल भी जाते हैं।
Wednesday, February 2, 2011
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