ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान की सटिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कुंडली में 12 भाव अर्थात 12 घर होते हैं। सभी का अपना अलग महत्व होता है परंतु लग्न भाव (प्रथम भाव) के अध्ययन से व्यक्ति के स्वभाव को जाना जा सकता है। लग्न स्थान व्यक्ति के सम्पूर्ण स्वभाव का परिचय करा देता है।
प्रथम भाव भी कहते है। लग्न में यदि सूर्य अच्छा हो तो वह व्यक्ति मिलनसार, कमजोर आंखो वाला परंतु दिलेर होता है। वहीं सूर्य कमजोर होने पर कम बोलने वाला, चिड़चिड़े स्वभाव का होता है।
यदि चंद्र भाव में चंद्र हो तो वह व्यक्ति सुन्दर होता है।
मंगल लग्न भाव में हो तो व्यक्ति गुस्सैल, क्रोधी, होता है। मंगली भी होता है।
कुंडली के प्रभम भाव में बुध स्थित हो तो व्यक्ति बुद्धिमान होता है।
गुरु प्रथम भाव में होने से व्यक्ति धार्मिक तथा बलवान होता है।
शुक्र लग्न में हो तो व्यक्ति कामी, होशियार तथा तेज स्वभाव का होता है।
यदि शनि प्रथम भाव तो वह व्यक्ति पिता के जैसी शक्ल वाला तथा समझदार होता है।
राहु लग्र में होने से व्यक्ति कडवा बोलने वाला विकृत मानसिकता का होता है।
केतु लग्र में स्थित हो तो सम प्रकृति का वह व्यक्ति होता है।
इसके लिए अन्य ग्रहों की लग्र पर कैसी दृष्टि पड रही है, यह भी विचार करना भी आवश्यक है।
Monday, November 15, 2010
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