विवाह के बाद हर पति-पत्नी को संतान प्राप्त करने की इच्छा होती है। वैसे तो अधिकांश लोगों की संतान सुख प्राप्त करने की कामना तो पूर्ण हो जाती है परंतु कुछ कारणों से कई दंपत्ति इस सुख को प्राप्त नहीं कर पाते। ऐसे में वे किसी अन्य के व्यक्ति के या अनाथालय से बच्चे को गोद लेते हैं। गोद लिए बच्चे भी अपने बच्चे की ही तरह माता-पिता का जीवनभर ध्यान रखें इसके लिए जरूरी है कि सही मुहूर्त में अनाथ बच्चे को अपनाया जाए-संतान गोद लेना बहुत ही पुण्य का काम है। इस पुण्य कार्य को शुभ मुहुर्त में करें तो उत्तम फल प्राप्त होता है। यदि आप शुभ मुहुर्त में संतान गोद लेते हैं तो गोद ली हुई संतान से सुख, आदर एवं सम्मान मिलेगा। शुभ मुहूर्त में गोद ली गई संतान जीवनभर आपकी सेवा करती है साथ ही आपकी मृत्यु के बाद के सभी आवश्यक संस्कार करती है।
दिन या वार का विचार- नक्षत्र और तिथि का विचार करने के बाद वार देख लें क्योंकि इस संदर्भ में वार का भी बहुत महत्व है। ज्योतिष सिद्धान्त के अनुसार संतान गोद लेने के लिए रविवार, मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार काफी शुभ माने गये हैं।
नक्षत्र- वार का विचार करने के बाद ये देख लें कि इस शुभ कार्य के दिन कौन सा नक्षत्र आ रहा है? संतान को गोद लेने के लिए कुछ नक्षत्रों को शुभ माना गया है। उनमें से 3 नक्षत्र, पुष्य, अनुराधा और पूर्वाफाल्गुनी को बहुत उत्तम माना गया है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ऊपर बताए गए वार को ये नक्षत्र हो उस दिन संतान गोद ले सकते है।तिथि- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार संतान गोद लेने के लिए शुभ तिथियों का चयन करना चाहिए। जिस दिन प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी में से कोई तिथि के साथ ऊपर बताए गए वार एवं नक्षत्रों का योग बन रहा हो, उस दिन यह शुभ कार्य करें। शास्त्रों में ये तिथियां कार्य सिद्धि करने वाली, धन देने वाली और शुभ कार्य को करने के लिए बताइ गई हैं।
बालक रोया या नहीं
जन्म लेते ही बालक रोना शुरू कर देता है। अगर वह नही रोया तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। राशिगत स्वभाव के कारण भी यह होता है। अपनी राशि के अनुसार ही बालक रोते हंै। मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, मीन यह राशि शब्द वाली है। इन राशियों में जन्म लेने वाला जातक जन्म लेते ही रोना शुरू कर देता है।कन्या तथा कुम्भ यह दोनों राशि अद्र्ध शब्द वाली है। इन राशियों में जन्म लेना वाला बालक थोड़ा रोकर चुप हो जाता है, फिर बड़े जोर से रोता है।कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर राशियां निशब्द होती है। इनमें जन्म लेने वाला बालक जन्म लेते समय रोते नहीं बहुत देरी के बाद रोता है।चंद्रमा का बल भी इसमे कारक होता है।जिसका ज्यादा चंद्र बली होता है। वह उतना कम रोने वाला होता है।
Thursday, November 25, 2010
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