Sunday, June 26, 2011

शिव की साकार और निराकार भक्ति

शिव की भक्ति और पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। शिव मूर्त या सगुण और अमूर्त या निर्गुण रूप में पूजे जाते हैं। शिव ऐसे स्वरूप, अलग-अलग गुण और शक्तियों के कारण अनेक नामों से प्रसिद्ध हैं। शिव का साकार रूप सदाशिव नाम से प्रसिद्ध है। इसी तरह शिव की पंचमूर्तियां - ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव और सद्योजात से पूजनीय है, जो खासतौर पर पंचवक्त्र पूजा में पंचानन रूप का पूजन किया जाता है। भगवान शिव की अष्टमूर्ति पूजा का भी महत्व बताया गया है। यह अष्टमूर्ति है - शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव जो क्रम से पृथ्वी, जल, अग्रि, वायु, आकाश, क्षेत्रज्ञ, सूर्य और चन्द्र रूप में स्थित मूर्ति मानी गई है। साम्ब-सदाशिव, अर्द्धनारीश्वर, महामृत्युञ्जय, पशुपति, उमा-महेश्वर, पञ्चवक्त्र, कृत्तिवासा, दक्षिणामूर्ति, योगीश्वर और महेश्वर नाम से भी शिव के अद्भुत और शक्ति संपन्न स्वरूप पूजनीय है। रुद्र भगवान शिव का परब्रह्म स्वरूप है, जो सृष्टि रचना, पालन और संहार शक्ति के नियंत्रक माने गए हैं। रुद्र शक्ति के साथ शिव घोरा के नाम से भी प्रसिद्ध है। रुद्र रूप माया से परे ईश्वर का वास्तविक स्वरूप और शक्ति मानी गई है।
शैव ग्रंथों में शिव चरित्र और स्वभाव कल्याणकारी, समर्थ, पालक, उद्धारक, सर्वश्रेष्ठ, अविनाशी बताया गया है। यही कारण है कि शिव की उपासना सभी सांसारिक जीवों के लिये सुखद फल देने वाली मानी गई है। शास्त्रों में शिव की प्रसन्नता के लिये विशेष मंत्र बहुत प्रभावी माने गए हैं। इन मंत्रों में शिव पंचाक्षरी मंत्र सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। पांच अक्षरों का यह मंत्र छोटा जरूर है, लेकिन माना गया है कि इसमें वेद का सार समाया है। यह शिव द्वारा सिद्ध मंत्र माना गया है। जिसके जप से हर सुख और प्रसन्नता प्राप्त होती है। यही कारण है कि शिव उपासना के विशेष दिन सोमवार को पंचाक्षरी मंत्र के जप का महत्व सभी इच्छाओं की सिद्धी के लिये बहुत ही शुभ माना गया है।
सोमवार को यथासंभव व्रत रखकर रात्रि में भोजन करें। प्रात: स्नान कर शिवालय में शिव को गंगाजल या गाय के दूध से स्नान कराएं। शिव की पूजा में गंध, अक्षत, फूल, बिल्वपत्र चढ़ाकर नैवेद्य अर्पित करें। पूजा के बाद नीचे लिखे छोटे और बेहद आसान पंचाक्षरी मंत्र का जप करें-
नम: शिवाय
पूजा , मंत्र जप के बाद शिव आरती कर मनोकामना पूर्ति के लिये शिव के सामने मन ही मन प्रार्थना करें।

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