Saturday, April 30, 2011

चौदह मुखी रुद्राक्ष श्री हनुमान का रूप

रुद्राक्ष शिव का अंश माना गया है। धार्मिक मान्यताओं में इसकी उत्पत्ति भी शिव के आंसुओं से मानी गई है। रुद्र और अक्ष यानी आंसु शब्द को मिलाकर इसे रुद्राक्ष पुकारा जाता है। शिव का अंश होने से ही यह सांसारिक पीड़ाओं को दूर करने वाला तो माना ही गया है। साथ ही धर्म और आध्यात्मिक रूप से भी रुद्राक्ष का प्रभाव धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला होता है। अलग-अलग रूपों और आकार के रुद्राक्ष जगत के लिए संकटमोचक, सुख-सौभाग्य देने वाले और मनोरथ पूरे करने वाले बताए गए हैं। रुद्राक्ष की पहचान उस पर बनी धारियों से होती है। इन धारियों को रुद्राक्ष का मुख मानकर शास्त्रों में एकमुखी से इक्कीस मुखी रुद्राक्ष का महत्व बताया गया है।
सभी रुद्राक्ष में अलग-अलग देव शक्तियों का रूप और वास माना गया है। जिनमें बहुत से दुर्लभ हैं। जिनमें चौदह मुखी रुद्राक्ष श्री हनुमान का रूप माना गया है। जिसकी पूजा या धारण करने से श्री हनुमान की शक्तियों का प्रभाव विपत्तियों से बचाने वाला माना गया है। श्री हनुमान भी रुद्रावतार है और रुद्राक्ष भी शिव का वरदान माना गया है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में शनि ने शिव कृपा से ही शक्ति और ऊंचे पद को पाया। इसलिए माना गया है कि शिव और हनुमान की शक्तियों के आगे शनि भी नतमस्तक रहते हैं। शनि साढ़े साती, महादशा या शनि पीड़ा के दौरान चौदह मुखी रुद्राक्ष को पहनना या उसकी उपासना शनि दशा में अनिष्ठ से रक्षा ही नहीं करती, बल्कि सुख-सौभाग्य लाने वाली होती है। चौदहमुखी रुद्राक्ष श्री हनुमान कृपा से उपासक को निडर, ऊर्जावान, निरोगी बनाता है। यह संतान व भूतबाधा दूर करता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसके गुण व शुभ प्रभाव अनंत है। यह स्वर्ग के सुख के साथ ही शनि पीड़ा जैसे क्रूर देवीय प्रकोप से भी बचाता है।

Tuesday, April 26, 2011

विवाह संबंधी समस्या का त्वरित निराकरण

एक महत्वपूर्ण समस्या है सही समय पर विवाह। युवा अपने कैरियर को लेकर इतने व्यस्त रहते हैं कि उनकी शादी की सही आयु कब निकल जाती है उन्हें पता भी नहीं चलता। ऐसे में विवाह होना और मुश्किल हो जाता है। एक अचूक प्रयोग हैं जिससे अविवाहित युवाओं की विवाह संबंधी समस्या का त्वरित निराकरण हो जाएगा। यह प्रयोग लड़के और लड़कियों दोनों द्वारा किया जा सकता है। इस प्रयोग को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए।
प्रयोग रात के समय किया जाना चाहिए। इसके लिए आप एक बाजोट पर पीला कपड़ा बिछाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस बैठ जाएं।मां पार्वती का चित्र अपने सामने रखें।अपने सामने बाजोट पर एक मुट्ठी गेहूं की ढेरी रखें। गेहूं पर एक विवाह बाधा निवारण विग्रह स्थापित करें और चंदन या केसर से तिलक करें। पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बाद हल्दी माला से निम्न मंत्र का जप करें:
लड़कों के लिए मंत्र-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवाम्।।

लड़कियों के लिए मंत्र-
ऊँ गं घ्रौ गं शीघ्र विवाह सिद्धये गौर्यै फट्।
मंत्र को चार दिनों तक नित्य 3-3 माला का जप करें। अंतिम दिन इस सामग्री को देवी पार्वती के चरणों में किसी भी मंदिर में छोड़ आएं। शीघ्र ही विवाह हो जाएगा।

Monday, April 25, 2011

बुध बुद्धिमत्ता -वाकपटुता का निर्धारक

बुधवार के दिन बुध ग्रह की देव रुप में उपासना का महत्व है। बुध ग्रह, चंद्र देव और तारा की संतान है। लिंग पुराण के अनुसार बुध चंद्रमा और रोहिणी की संतान माने जाते हैं। जबकि विष्णु पुराण बुध चंद्रमा और बृहस्पति की पत्नी तारा की संतान है। बुध देव चार भुजाओं वाले हैं और उनका वाहन सिंह है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह बुद्धिमत्ता और वाकपटुता का निर्धारक है। बुध के शुभ प्रभाव से किसी भी व्यक्ति को विद्वान, शिक्षक, कलाकार और सफल व्यवसायी बना सकता है।
कड़ी प्रतियोगिता के दौर में आज का युवाओं के लिए भी मजबूत मानसिक क्षमताओं का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि अच्छे कॅरियर बनाने के लिए शिक्षा व ज्ञान बहुत अहम है। अगर आप भी तेज दिमाग, मानसिक शक्ति, एकाग्रता चाहें तो बुधवार के दिन बुध देव की प्रसन्नता के यह मंत्र जप जरूर करें -
स्नान कर किसी नवग्रह मंदिर या घर के देवालय में बुधदेव की मूर्ति की पंचोपचार पूजा करें। पूजा में खासतौर पर हरी पूजा सामग्री भी चढ़ाएं। गंध, अक्षत, फूल के अलावा हरे वस्त्र अर्पित करें। गुड़, दही और भात का भोग लगाएं। धूप और अगरबत्ती, दीप जलाकर पूजा-आरती करें।पूजा या आरती के बाद बुध देव का बीज मंत्र
ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: या ऊँ बुं बुधाय नम: का जप करें। कम से कम 108 बार मंत्र जप अवश्य करें।

Saturday, April 23, 2011

महालक्ष्मी को मनाने अक्षय तृतीया पर उपाय

नौकरी के लिए भी प्रतिस्पर्धा में काफी बढ़ोतरी हुई है। अधिकांश लोगों को या तो जॉब नहीं मिल पाती या योग्यता के अनुसार अच्छी नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अपनी इच्छानुसार जॉब नहीं मिल पा रही है तो निम्न उपाय करें।कई बार कुंडली में ग्रह दोष होने की वजह से अच्छी जॉब नहीं मिल पाती। यदि कुंडली में कोई ग्रह बाधा हो तो योग्य व्यक्तियों को भी सही नौकरी नहीं मिल पाती है। ऐसे में ज्योतिष के अनुसार संबंधित ग्रह का उचित उपचार या पूजन करना ही श्रेष्ठ रहता है। इसके लिए धन संबंधी कार्यों में महालक्ष्मी की कृपा अवश्य चाहिए।
ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत्त हो जाएं। अब घर में किसी पवित्र और शांत स्थान में बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाएं और स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठ जाएं। सफेद वस्त्र पर चावल की ढेरी बनाएं। इस ढेरी गायत्री यंत्र स्थापित करें। अब सात गोमती चक्र लें, इन्हें हल्दी से रंगकर पीला कर दें। इन्हें भी गायत्री यंत्र के साथ ही रखें। फिर धूप-दीप करके विधिवत पूजन करें और मावे की मिठाई का भोग लगाएं। पूजन के बाद 11 माला मंत्र (ऊँ वर वरदाय सर्व कार्य सिद्धि करि-करि ऊँ नम:) का जप करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्टे की माला का प्रयोग करें। जप समाप्ति के बाद मिठाई का प्रसाद घर के सभी सदस्यों और अन्य लोगों को दें।अब समस्त पूजन सामग्री को सफेद कपड़े में बांधकर किसी तालाब, नदी, कुएं या अन्य पवित्र जल के स्थान पर विसर्जित कर आएं। ध्यान रहें घर लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें। घर लौटकर पुन: स्नान करें।इस प्रयोग को करते समय मन में किसी प्रकार की शंका, संदेह लेकर न आएं अन्यथा उपाय निष्फल हो जाएगा। विधिवत पूजन के बाद जल्दी आपको अच्छी नौकरी मिलने की संभावनाएं बनने लगेंगी। ध्यान रहे इस दौरान किसी भी प्रकार के अधार्मिक कर्मों से खुद दूर ही रखें।
संसार में उन्नति करने के लिए जिन बातों की जरूरत होती है उनमें से एक है आत्मबल। यदि मानसिक अस्थिरता है तो यह बल बिखर जाता है। इस कारण भीतरी व्यक्तित्व में एक कंपन सा आ जाता है। भीतर से कांपता हुआ मनुष्य बाहरी सफलता को फिर पचा नहीं पाता, या तो वह अहंकार में डूब जाता है या अवसाद में, दोनों ही स्थितियों में हाथ में अशांति ही लगती है यह आत्मबल जिस ऊर्जा से बनता है वह ऊर्जा हमारे भीतर सही दिशा में बहना चाहिए। हमारे भीतर यह ऊर्जा या कहें शक्ति दो तरीके से बहती है। पहला विचारों के माध्यम से, दूसरा ध्यान यानी अटेंशन के जरिए।हम भीतर जिस दिशा में या विषय पर सोचेंगे यह ऊर्जा उधर बहने लगेगी और उसको बलशाली बना देगी। इसीलिए ध्यान रखें जब क्रोध आए तो सबसे पहला काम करें उस पर सोचना छोड़ दें। क्योंकि जैसे ही हम क्रोध पर सोचते हैं ऊर्जा उस ओर बहकर उसे और बलशाली बना देती है। गलत दिशा में ध्यान देने से ऊर्जा वहीं चली जाएगी। इसे सही दिशा में करना हो तो प्रेम जाग्रत करें। इस ऊर्जा को जितना भीतरी प्रेमपूर्ण स्थितियों पर बहाएंगे वही उसकी सही दिशा होगी। फिर यह ऊर्जा सृजन करेगी, विध्वंस नहीं। माता-पिता जब बच्चे को मारते हैं तब यहां क्रोध और हिंसा दोनों काम कर रहे हैं। बाहरी क्रिया में क्रोध-हिंसा है, परन्तु भीतर की ऊर्जा प्रेम की दिशा में बह रही होती है। माता-पिता यह क्रोध अपनी संतान के सृजन, उसे अच्छा बनाने के लिए कर रहे होते हैं। किसी दूसरे बच्चे को गलत करता देख वैसा क्रोध नहीं आता, क्योंकि भीतर जुड़ाव प्रेम का नहीं होता है। इसलिए ऊर्जा के बहाव को भीतर से चैक करते रहें उसकी दिशा सदैव सही रखें, तो बाहरी क्रिया जो भी हो भीतर की शांति भंग नहीं होगी।

Friday, April 22, 2011

पति-पत्नी का रिश्ता टूटने से बच सकता है

पति-पत्नी की रिश्ता बड़ा नाजुक होता है। छोटी सी गलतफहमी इस रिश्ते को तोड़ सकती है। वर्तमान के समय काम का बोझ व दूसरी जिम्मेदारियों के चलते पति-पत्नी एक-दूसरे को समय नहीं दे पाते। ऐसे में उनके बीच दूरियां बढऩे लगती है और कई बार यह रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। यदि इस मंत्र का जप किया जाए तो पति-पत्नी के मतभेद समाप्त हो जाते हैं और उनका रिश्ता टूटने से बच सकता है

अक्ष्यौ नौ मधुसंकाशे अनीकं नौ समंजनम्।
अंत कृणुष्व मां ह्रदि मन इन्नौ सहासति

प्रतिदिन इस मंत्र का 21 माला जप करने से पति-पत्नी में न केवल प्रेम बना रहता है बल्कि प्रेम में प्रगाढ़ता भी आती है। यह मंत्र पति-पत्नी स्वयं भी कर सकते हैं या किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।
हर माता-पिता की इच्छा होता है कि उनके बेटे का विवाह धूम-धाम से हो। लेकिन कभी-कभी कुछ कारणों के चलते उचित समय पर उसका विवाह नहीं हो पाता। यदि आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे लिखे टोटके से इस समस्या का निदान संभव है . कुम्हार अपने चाक को जिस डंडे से घुमाता है, उसे किसी तरह किसी को बिना बताए प्राप्त कर लें। इसके बाद घर के किसी कोने को रंग-रोगन कर साफ कर लें। इस स्थान पर उस डंडे को लंहगा-चुनरी व सुहाग का अन्य सामग्री से सजाकर दुल्हन का स्वरूप देकर एक कोने में खड़ करके गुड़ और चावलों से इसकी पूजा करें। इससे लड़के का विवाह शीघ्र ही हो जाता है। यदि चालीस दिनों में इच्छा पूरी न हो तो फिर यही प्रक्रिया दोहराएं(डंडा प्राप्त करने से लेकर पूजा तक)। यह प्रक्रिया सात बार कर सकते हैं।

बुध के कमजोर रहने पर त्वचा रोग

चेहरे पर कील-मुंहासे हैं तो हर बात बेकार हो जाती है। कील-मुंहासे चेहरों पर भद्दे दाग के समान होते हैं। दवाइयां आदि लेने के बाद भी यदि कील-मुंहासे ठीक नहीं हो रहे हैं तो हो सकता है किसी ग्रह दोष की वजह से आपको इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। त्वचा रोग के लिए बुध ग्रह, शनि, राहु, मंगल के अशुभ होने पर तथा सूर्य, चंद्र के कमजोर होने पर त्वचा रोग होते हैं। कुण्डली में षष्ठम यानि छठां भाव त्वचा से संबंधित होता है। यदि कुंडली में सप्तम स्थान पर केतु भी त्वचा रोग का कारण बन सकता हैै। बुध यदि बलवान है तो यह रोग पूरा असर नहीं दिखाता, वहीं बुध के कमजोर रहने पर निश्चित ही त्वचा रोग परेशान कर सकते हैं।
चंद्र के कारण पानी अथवा मवाद से भरी फुंसी व मुंहासे होती है। मंगल के कारण रक्त विकार वाले कील-मुंहासे होते हैं। राहु के प्रभाव से दर्द देने वाले कील-मुंहासे होते हैं। यदि षष्ठम स्थान पर कोई अशुभ ग्रह है तो उसका उपचार कराएं। सूर्य मंत्रों या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। शनिवार के दिन कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं। सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें। पारद शिवलिंग का पूजन करें। प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें।

Thursday, April 21, 2011

शराब का आदि शराब छोड़ देगा

शराब न सिर्फ एक व्यक्ति को बल्कि पूरे परिवार को नष्ट कर देती है। जीवन खराब हो जाता है। ऐसे कई टोटके हैं जिनसे शराब की लत को छुड़वाया जा सकता है. शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को सुबह सवा मीटर काला कपड़ा तथा सवा मीटर नीला कपड़ा लेकर इन दोनों को एक-दूसरे के ऊपर रख दें। इस पर 800 ग्राम कच्चे कोयले, 800 ग्राम काली साबूत उड़द, 800 ग्राम जौ एवं काले तिल, 8 बड़ी कीलें तथा 8 सिक्के रखकर एक पोटली बांध लें। फिर जिस व्यक्ति की शराब छुड़वाना हो उसकी लंबाई से आठ गुना अधिक काला धागा लेकर एक जटा वाले नारियल पर लपेट दें। इस नारियल को काजल का तिलक लगाकर धूप-दीप अर्पित करके शराब पीने की आदत छुड़ाने का निवेदन करें। फिर यह सारी सामग्री किसी नदी में प्रवाहित कर दें। जब सामग्री दूर चली जाए तो घर वापस आ जाएं। इस दौरान पीछे मुड़कर न देखें। घर में प्रवेश करने से पहले हाथ-पैर धोएं। शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर तिल के तेल का दीपक लगाएं। यही प्रक्रिया आने वाले बुधवार व शनिवार को फिर दोहराएं। इस टोटके के बारे में किसी को कुछ न बताएं।कुछ ही समय में आप देखेंगे कि जो व्यक्ति शराब का आदि था वह शराब छोड़ देगा।

Sunday, April 17, 2011

कालसर्प के मुख और शुभ प्रभाव में ग्रह

आमतौर पर माना जाता है कि कालसर्प दोष जीवन में बहुत दु:ख देता है और असफलता का कारण भी होता है। कई बार कुंडली में विशेष योगों के चलते यह शुभाशुभ फल भी प्रदान करता है। राहु को कालसर्प का मुख माना गया है। यदि राहु के साथ कोई भी ग्रह उसी राशि और नक्षत्र में शामिल है, तो वह ग्रह कालसर्प योग के मुख में स्थित माना जाता है। यदि जातक की कुंडली में सूर्य कालसर्प के मुख में स्थित है अर्थात राहु के साथ स्थित हो तथा 1, 2, 3, 10 अथवा 12 वें स्थान में हो एवं शुभ राशि और शुभ प्रभाव में हो तो प्रतिष्ठा दिलवाता है। जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। वह राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
यदि जातक की कुंडली में कालसर्प के मुख में चंद्रमा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो जातक को परिपक्व और उच्च विचारधारा वाला बनाता है।यदि जातक की कुंडली में मंगल कालसर्प के मुख में स्थित हो तो इसकी शुभ एवं बली स्थिति जातक को पराक्रमी और साहसी तथा व्यवहार कुशल बनाती है। वह हमेशा कामयाब होता है।बुध यदि कालसर्प के मुख में स्थित हो तथा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो ऐसे जातक को उच्च शिक्षा मिलती है तथा वह बहुत उन्नति भी करता है।राहु के साथ गुरु की युति गुरु-चांडाल योग बनाती है। ज्योतिष में इसे अशुभ माना जाता है। लेकिन अगर यह योग शुभ स्थिति और शुभ प्रभाव में हो तो जातक को अच्छी प्रगति मिलती है। कालसर्प के मुख में स्थित शुक्र शुभ स्थिति और प्रभाव में होने पर पूर्ण स्त्री सुख प्रदान करता है। दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है। यदि कालसर्प के मुख में शनि शुभ स्थिति हो तो जातक को परिपक्व और तीक्ष्ण बुद्धि वाला होता है।

Saturday, April 16, 2011

पंचमुखी हनुमान की भक्ति चमत्कारिक फलदायी

चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। श्री हनुमान रूद्र अवतार माने गए हैं। श्री हनुमान चरित्र गुण, शील, शक्ति, बुद्धि कर्म, समर्पण, भक्ति, निष्ठा, कर्तव्य जैसे आदर्शों से भरा है। आशुतोष यानि भगवान शिव का अवतार होने से उनकी तरह ही श्री हनुमान भी थोड़ी ही भक्ति से जल्दी ही हर कलह, दु:ख व पीड़ा को दूर करने वाली मानी जाती है। यही कारण है कि श्री हनुमान भक्ति से गहरी धार्मिक और जन आस्था जुड़ी है। श्री हनुमान की साधना अनेक रूपों में की जाती है। जिनमें बाल हनुमान, भक्त हनुमान, वीर हनुमान, दास हनुमान, योगी हनुमान आदि प्रसिद्ध है। किंतु शास्त्रों में श्री हनुमान के ऐसे चमत्कारिक स्वरूप और चरित्र की भक्ति का महत्व बताया गया है, जिससे भक्त को बेजोड़ शक्तियां प्राप्त होती है। श्री हनुमान का यह रूप है - पंचमुखी हनुमान।

पांच मुख वाले हनुमान की भक्ति न केवल लौकिक मान्यताओं में बल्कि धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है। जानते हैं पंचमुखी हनुमान के स्वरूप और उनसे मिलने वाली शक्तियों को -
एक बार पांच मुंह वाले दैत्य ने तप कर ब्रह्मदेव से यह वर पा लिया कि उसे अपने जैसे ही रूप वाले से मृत्यु प्राप्त हो। ऐसा वर पाकर उसने जगत को भयंकर पीड़ा पहुंचाना शुरू किया। तब देवताओं की प्रार्थना पर श्री हनुमान ने पांच मुखों वाले रूप में अवतार लिया और उस दैत्य का अंत कर दिया। श्री हनुमान के पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। पंचमुखी हनुमान का पूर्व दिशा में वानर मुख है, जो बहुत तेजस्वी है। जिसकी उपासना से विरोधी या शत्रु पराजित हो जाता है। पंचमुखी हनुमान का पश्चिमी मुख गरूड का है, जिसके दर्शन और भक्ति संकट और बाधाओं का नाश करती है। पंचमुखी हनुमान का उत्तर दिशा का मुख वराह रूप होता है, जिसकी सेवा-साधना अपार धन, दौलत, ऐश्वर्य, यश, लंबी आयु, स्वास्थ्य देती है। पंचमुखी हनुमान का दक्षिण दिशा का मुख भगवान नृसिंह का है। इस रूप की भक्ति से हर चिंता, परेशानी और डर दूर हो जाता है। पंचमुखी हनुमान का पांचवा मुख आकाश की ओर दृष्टि वाला होता है। यह रूप अश्व यानि घोड़े के समान होता है। श्री हनुमान का यह करुणामय रूप होता है, जो हर मुसीबत में रक्षा करने वाला माना जाता है। पंचमुख हनुमान की साधना से जाने-अनजाने हुए सभी बुरे कर्म और विचारों के दोषों से छुटकारा मिलता है। वही धार्मिक रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों की कृपा भी प्राप्त होती है। इस तरह श्री हनुमान का यह अद्भुत रूप शारीरिक, मानसिक, वैचारिक और आध्यात्मिक आनंद और सुख देने वाला माना गया है।

Saturday, April 9, 2011

सूर्य-शनि एक दूसरे के शत्रु

सूर्य-शनि को एक दूसरे का शत्रु माना गया है। सूर्य की उच्च राशि मेष में शनि बुरा फल देने वाला होता है . शनि की उच्च राशि तुला में सूर्य भी बुरा फल देता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ एक ही भाव में स्थित हो तो अधिकांशत: इसके बुरे प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं। सूर्य-शनि की युति कुंडली के कुछ भावों में शुभ फल दे सकती है लेकिन कुंडली के प्रमुख भावों में अशुभ फल ही देने वाली रहेगी। कुंडली का पहला भाव, चौथा भाव, सातवां और दसवां भाव ये चार प्रमुख घर होते हैं, जिनमें सूर्य-शनि अशुभ फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि लग्न में स्थित है तो वह व्यक्ति दुराचारी, बुरी आदतों वाला, मंदबुद्धि और पापी प्रवृत्ति का होता है। यदि शनि और सूर्य चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति नीच, दरिद्र और भाइयों तथा समाज में अपमानित होने वाला होता है। यदि सूर्य और शनि सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति आलसी, भाग्यहीन, स्त्री और धन से रहित, शिकार खेलने वाला और महामूर्ख होता है। यदि दशम भाव में यह दोनों ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में नौकरी करने वाला होता है। यदि इन्हें अपार धन की प्राप्ति भी हो जाए तो वह चोरी हो जाता है।
शनि की नजर तीन तरह की होती है। तीसरी, सातवीं और दसवीं। कुंडली में जिस राशि में शनि हो उस राशि से तीसरी, सातवीं और दसवी राशि वालों पर शनि की नजर पड़ती है। शनि की दृष्टि अशुभ होती है। ब्रह्मवैवर्तपुराण की एक कथा के अनुसार शनि को अपनी पत्नी से ही शाप मिला था जिसकी वजह से इनकी दृष्टि में दोष बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि शनि की नजर पडऩे पर कुछ न कुछ बुरा हो ही जाता है लेकिन शनि की हर नजर इतनी अशुभ नही होती जितनी अशुभ तीसरी नजर होती है। कुंडली के जिस घर में शनि होता है उस घर से तीसरे घर पर शनि की नजर होती है। ज्योतिष में इस दृष्टि को खराब माना गया है। कुंडली में जिस घर पर शनि की ये दृष्टि होती है शनि उस भाव से संबंधित फल को कम कर देता है। इस तीसरी नजर को शनि की वक्र दृष्टि कहा जाता है, यानी टेढ़ी नजर। जब शनि टेढ़ी नजर से देखता है तो नुकसान ही उठाना पड़ता है। शनि की यह टेढ़ी नजर सातवीं और दसवीं नजर की तुलना में खराब फल देने वाली होती है। जिस पर शनि की ये टेढ़ी नजर होती है उसे जरूरत से ज्यादा मेहनत करने पर ही परिणाम मिलते हैं। शनि की इस दृष्टि से शरीर के अंगों में दोष हो जाता है। ऐसी नजर पडऩे पर व्यक्ति विकलांग भी हो सकता है। शनि की तीसरी नजर के प्रभाव से आलस्य, प्रमाद और पुरुषार्थ में कमी करता है। निराशा, चिंता और मानसिक तनाव भी इसी दृष्टि के प्रभाव से होता है।

Thursday, April 7, 2011

एक श्लोकी भागवत देता हर कष्ट से मुक्ति

ऐसे में नीचे लिखे इस एक मंत्र का विधि-विधान पूर्वक जप करने से संपूर्ण भागवत पढऩे या सुनने का फल मिलता है। इस श्लोक को एक श्लोकी भागवत कहते हैं। यह बहुत चमत्कारी श्लोक है। इसका जप करने से साधक को हर कष्ट से मुक्ति मिल जाती है।
एक श्लोकी भागवत
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
सुबह जल्दी नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र का विधिवत पूजन करें। भगवान श्रीकृष्ण के चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।