Saturday, April 9, 2011

सूर्य-शनि एक दूसरे के शत्रु

सूर्य-शनि को एक दूसरे का शत्रु माना गया है। सूर्य की उच्च राशि मेष में शनि बुरा फल देने वाला होता है . शनि की उच्च राशि तुला में सूर्य भी बुरा फल देता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ एक ही भाव में स्थित हो तो अधिकांशत: इसके बुरे प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं। सूर्य-शनि की युति कुंडली के कुछ भावों में शुभ फल दे सकती है लेकिन कुंडली के प्रमुख भावों में अशुभ फल ही देने वाली रहेगी। कुंडली का पहला भाव, चौथा भाव, सातवां और दसवां भाव ये चार प्रमुख घर होते हैं, जिनमें सूर्य-शनि अशुभ फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि लग्न में स्थित है तो वह व्यक्ति दुराचारी, बुरी आदतों वाला, मंदबुद्धि और पापी प्रवृत्ति का होता है। यदि शनि और सूर्य चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति नीच, दरिद्र और भाइयों तथा समाज में अपमानित होने वाला होता है। यदि सूर्य और शनि सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति आलसी, भाग्यहीन, स्त्री और धन से रहित, शिकार खेलने वाला और महामूर्ख होता है। यदि दशम भाव में यह दोनों ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में नौकरी करने वाला होता है। यदि इन्हें अपार धन की प्राप्ति भी हो जाए तो वह चोरी हो जाता है।
शनि की नजर तीन तरह की होती है। तीसरी, सातवीं और दसवीं। कुंडली में जिस राशि में शनि हो उस राशि से तीसरी, सातवीं और दसवी राशि वालों पर शनि की नजर पड़ती है। शनि की दृष्टि अशुभ होती है। ब्रह्मवैवर्तपुराण की एक कथा के अनुसार शनि को अपनी पत्नी से ही शाप मिला था जिसकी वजह से इनकी दृष्टि में दोष बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि शनि की नजर पडऩे पर कुछ न कुछ बुरा हो ही जाता है लेकिन शनि की हर नजर इतनी अशुभ नही होती जितनी अशुभ तीसरी नजर होती है। कुंडली के जिस घर में शनि होता है उस घर से तीसरे घर पर शनि की नजर होती है। ज्योतिष में इस दृष्टि को खराब माना गया है। कुंडली में जिस घर पर शनि की ये दृष्टि होती है शनि उस भाव से संबंधित फल को कम कर देता है। इस तीसरी नजर को शनि की वक्र दृष्टि कहा जाता है, यानी टेढ़ी नजर। जब शनि टेढ़ी नजर से देखता है तो नुकसान ही उठाना पड़ता है। शनि की यह टेढ़ी नजर सातवीं और दसवीं नजर की तुलना में खराब फल देने वाली होती है। जिस पर शनि की ये टेढ़ी नजर होती है उसे जरूरत से ज्यादा मेहनत करने पर ही परिणाम मिलते हैं। शनि की इस दृष्टि से शरीर के अंगों में दोष हो जाता है। ऐसी नजर पडऩे पर व्यक्ति विकलांग भी हो सकता है। शनि की तीसरी नजर के प्रभाव से आलस्य, प्रमाद और पुरुषार्थ में कमी करता है। निराशा, चिंता और मानसिक तनाव भी इसी दृष्टि के प्रभाव से होता है।

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