Wednesday, March 30, 2011

लक्ष्मी कृपा सदैव बनी रहे

देवी लक्ष्मी कृपा आप पर सदैव बनी रहे तो घर में कभी धन की कमी नहीं होती। रात्रि 10 बजे के बाद सब कार्यों से निवृत्त होकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पीले आसन पर बैठ जाएं। सामने 9 तेल के दीपक जलाएं। ये दीपक पूजा के दौरान बुझना नहीं चाहिए। दीपक के सामने लाल रंगे चावलों की एक ढेरी बनाएं। फिर उस पर श्रीयंत्र रखकर उसका कुंकुम, फूल, धूप तथा दीप से पूजन करें। उसके बाद किसी प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसे अपने सामने रखकर उसका पूजन करें। इस प्रयोग से धन लाभ होने लगेगा।
एक नारियल को पूजा चमकीले लाल कपड़े में लपेटकर वहां रख दें, जहां आप पैसा इत्यादि धन रखते हैं। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र में स्नान करके एक गांठ हल्दी को पीले रूमाल में रखें। फिर हल्दी द्वारा रंगे चावल, नारियल का समूचा गोला और एक सुपारी भी रखें। अब इसे धूप-दीप दिखाकर हल्दी में रंगा सिक्का रखें। इसको रोज धूप-दीप दिखाएं। इस प्रयोग से धन-धान्य में वृद्धि होती है। धन प्राप्ति के लिए प्रतिदिन देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें साबूत लौंग अर्पित करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। 11 कौडिय़ों को शुद्ध केसर में रंगकर पीले कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखने से धन का आगमन होता है।

Sunday, March 27, 2011

मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग देवी-देवता

आवश्यकताओं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए भगवान की भक्ति से अच्छा कोई और उपाय नहीं है। सच्चे से भगवान से प्रार्थना की जाए तो सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण हो जाती हैं। देवी-देवता हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण करने में समर्थ माने गए हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग देवी-देवताओं को पूजने का विधान भी बताया गया है।
शादी या विवाहित जीवन से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए शिव-पार्वती, लक्ष्मी-विष्णु, सीता-राम, राधा-कृष्ण, श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए।
धन संबंधी समस्याओं के लिए देवी महालक्ष्मी, कुबेर देव, भगवान विष्णु से प्रार्थना करनी चाहिए।
पूरी मेहनत के बाद भी यदि आपको कार्यों में असफलता मिलती है तो किसी भी कार्य की शुरूआत श्रीगणेश के पूजन के साथ ही करें।
यदि आपको किसी प्रकार का भय या भूत-प्रेत आदि का डर सताता है तो पवनपुत्र श्री हनुमान का ध्यान करें।
पति-पत्नी बिछड़ गए हैं और काफी प्रयत्नों के बाद भी वापस मिलने का योग नहीं बन पा रहा हो तो ऐसे में श्रीराम भक्त बजरंग बली की पूजा करें। सीता और राम का मिलन भी हनुमानजी द्वारा ही कराया गया, अत: इनकी पूजा से विवाहित जीवन की सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
पढ़ाई से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए मां सरस्वति का ध्यान करें एवं बल, बुद्धि, विद्या के दाता हनुमानजी और श्रीगणेश का पूजन करें।
यदि किसी गरीब व्यक्ति की वजह से कोई परेशानी हो रही हो तो शनिदेव, राहु और केतु की वस्तुओं का दान करें, उनकी पूजा करें।
भूमि संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए मंगलदेव को पूजें।
विवाह में विलंब हो रहा हो तो ज्योतिष के अनुसार विवाह के कारक ग्रह ब्रहस्पति बताए गए हैं अत: इनकी पूजा करनी चाहिए।

Saturday, March 26, 2011

लक्ष्मी जी के उपाय

अपनी कमाई के साधन के अलावा पैसों का एक अन्य साधन और चाहते हैं तो शुक्र देव को प्रसन्न करने के लिए धन प्राप्ति के उपाय करने चाहिए क्योंकि शुक्र ग्रह धन एवं ऐश्वर्य के अधिपति देव है और शुक्रवार को मां लक्ष्मी का भी प्रिय दिन माना गया है। इस दिन धन, ऐश्वर्य, भौतिक सुख और कमाई के अन्य स्त्रोत की प्राप्ति के लिए अगर कोई प्रयोग करें तो विशेष सफलता प्राप्त होती है। इसलिए इस दिन किए गए उपाय दोहरा लाभ दिलाते हैं। शुक्रवार को लक्ष्मी जी के उपाय करने से दो तरफा यानि एक्स्ट्रा इनकम के योग बनते हैं। इसलिए शुक्रवार का दिन धन संबंधित प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
धन प्राप्ति के लिए अपने पास चांदी का शुक्र यंत्र रखें। पिता से सोना लेकर धारण करें या धन स्थान पर रख कर पूजा करें तो जल्दी ही कमाई का अन्य साधन मिल जाएगा। भाई या बहन को शुक्र देव के लिए सफेद वस्त्र के साथ चांदी का सिक्का दें। स्फटिक श्री यंत्र की स्थापना करें तो आपके घर में दो तरफ से लक्ष्मी आएगी। सात शुक्रवार तक 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खीलाएं तो आपको जल्दी ही इसके शुभ परिणाम मिलेंगे। सोने या चांदी की लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन कर के धन स्थान पर रखें। माता से सफेद कपड़े में चावल और चांदी का सिक्का लेकर धन स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी प्रस्रन्न होगी। लक्ष्मी जी को कमल पुष्प और कमल गट्टे अर्पित करें। भोजपत्र पर लाल चंदन से श्रीं: लिख कर उसकी पूजा करें। सुगंधित सफेद फूल महालक्ष्मी जी को चढ़ाएं।मां लक्ष्मी को शुद्ध गाय के घी का दीपक लगाएं।
शनिवार के दिन पीपल का एक पत्ता तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के घोल से अपने दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से ह्रीं लिखें। इसके बाद इस पत्ते को धूप-दीप दिखाकर अपने बटुए में रखे लें। प्रत्येक शनिवार को पूजा के साथ वह पत्ता बदलते रहें। यह उपाय करने से आपका बटुआ कभी धन से खाली नहीं होगा। पुराना पत्ता किसी पवित्र स्थान पर ही रखें। काली मिर्च के 5 दाने अपने सिर पर से 7 बार उतारकर 4 दाने चारों दिशाओं में फेंक दें तथा पांचवें दाने को आकाश की ओर उछाल दें। यह टोटका करने से आकस्मिक धन लाभ होगा। अचानक धन प्राप्ति के लिए सोमवार के दिन श्मशान में स्थित महादेव मंदिर जाकर दूध में शुद्ध शहद मिलाकर चढ़ाएं। अगर धन नहीं जुड़ रहा हो तो तिजोरी में लाल वस्त्र बिछाएं। तिजोरी में गुंजा के बीज रखने से भी धन की प्राप्ति होती है। जिस घर में प्रतिदिन श्रीसूक्त का पाठ होता है, वहां लक्ष्मी अवश्य निवास करती हैं।

Tuesday, March 22, 2011

कोई परेशानी : हनुमानजी का पूजन सर्वश्रेष्ठ

सुख और दुख जीवन के दो पहलु हैं, हर व्यक्ति के जीवन में सुख और अवश्य ही आते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोगों की जिंदगी में दुख अधिक होते हैं और सुख कम। दुख की कई कारण हो सकते हैं लेकिन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए हनुमानजी की आराधना सटिक उपाय है। ज्योतिष संबंधी कोई ग्रह बाधा हो या अन्य कोई परेशानी श्रीराम के भक्त पवनपुत्र श्री हनुमानजी का पूजन सर्वश्रेष्ठ उपाय है। इनकी आराधना से सभी ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है और हमारी कुंडली में स्थित ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। हनुमानजी के लिए मंगलवार का दिन विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को ही हनुमानजी का जन्म हुआ है। इसी वजह से इस दिन पवनपुत्र की पूजा का खास महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार ग्रहों के सेनापति मंगल देव की आराधना का दिन है। हनुमानजी की आराधना से मंगलदेव की कृपा भी भक्त को प्राप्त होती है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि बुरा फल देने वाला है तो उसके लिए बजरंगबली की पूजा से अच्छा कोई दूसरा उपाय नहीं है। मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर भगवान को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। प्रसाद चढ़ाएं। सुंदरकांड का पाठ करें या यह संभव ना हो तो हनुमान चालिसा का पाठ करें। इस दिन रात को हनुमानजी के समक्ष तेल का दीपक जलाएं।

Monday, March 21, 2011

धन प्राप्ति के कुछ तंत्र प्रयोग

धन प्राप्ति के मार्ग खुल सकते हैं धन जीवन की सबसे प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। इसके अभाव में जीवन बेकार ही लगता है। सभी लोगों को धन की कामना होती है लेकिन कम ही लोग ऐसे होते हैं जिनकी यह इच्छा पूरी होती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनहे जीवन भर धन के अभाव में रहना पड़ता है। कुछ साधारण तंत्र प्रयोग करने से धन प्राप्ति के मार्ग खुल सकते हैं। इन प्रयोगों को करते समय मन में श्रृद्धा का भाव होना चाहिए तभी यह प्रयोग सफल होते हैं। कुछ तंत्र प्रयोग इस प्रकार हैं-
शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को लक्ष्मी-नारायण मंदिर में जाकर शाम के समय नौ वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को खीर के साथ मिश्री का भोजन कराएं तथा उपहार में कोई लाल वस्तु दें। यह उपाय लगातार तीन शुक्रवार करें। यदि अचानक ज्यादा खर्च की स्थिति बने तो मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में गुड़-चने का भोग लगाएं और 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह प्रयोग तीन मंगलवार तक करें। पुष्य नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में शंखपुष्पी की जड़ को विधिवत लेकर आएं और उसे धूप देकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए चांदी की डिब्बी में रखें। इसे अपनी तिजोरी में रखने से आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी।
पीपल के पत्ते पर राम लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं। इससे धन लाभ होने लगेगा। शुक्रवार के दिन से प्रतिदिन शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं। तिजोरी में गुंजा के बीज रखने से भी धन की वृद्धि होती है।

आदित्य दिलाएं नौकरी पाने में सफलता

इंटरव्यू देते समय नर्वस हो जाते हैं? आपकी जॉब नहीं लग पा रही है, आप अकेले ही ऐसे नहीं है जिसे इस तरह की समस्या है। अधिकांश लोग इंटरव्यू देते समय नर्वस हो जाते हैं। यदि आप इंटरव्यू देने से पहले नीचे लिखा उपाय करेंगे तो इंटरव्यू में आप नर्वस नहीं होंगे और सक्सेस भी मिलेगी।
प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से शुरू करें। बारह गुलाब के फूल लेकर एक सफेद कपड़े पर रख लें। एक सफेद कागज पर रोली से यह मंत्र लिखें- ऊँ घृणीं ह्रीं आदित्य श्रीं - मंत्र को धूप-दीप से पूजित करें। मंत्र बोलते जाएं और एक-एक फूल सफेद रूमाल से उठाकर मंत्र लिखे उस सफेद कागज पर रख दें। बारह फूलों को इस तरह पूजित करें और कागज पर रखते जाएं। इस तरह यह प्रयोग बारह दिन तक दोहराएं और फूलों को बहती नदी में प्रवाहित करें। शीघ्र ही इंटरव्यू में सक्सेस मिलेगी।

Friday, March 18, 2011

शनि देव कुछ न कुछ देकर ही जाते हैं

राशि पर शनि देव का अच्छा और बुरा असर साढ़े सात साल तक होता है। इस समय को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। कहा जाता है शनि की साढ़ेसाती बुरी होती है और इस समय में व्यक्ति परेशान हो जाता है। व्यक्ति के पास कुछ नही बचता। लेकिन ऐसा नही है खत्म होती शनि की साढ़ेसाती में जातक को शनि देव कुछ न कुछ देकर ही जाते हैं।
क्या मिलता है उतरती हुई साढ़ेसाती में-
मेष- शनि साढ़ेसाती की आखिरी ढैय्या मेष राशि वालों के लिए धन लाभ देने वाली होती है। नए भूमि, वाहन और मकान का शुभ योग बनता है। मुख से संबंधितरोग होते हैं। वृष- साढ़ेसाती इस राशि वालों को व्यवसाय में लाभ देती है। और अंतिम ढैय्या में धार्मिक यात्राओं के योग बनते हैं। वाक् चातुर्यता से संबंधों में सफलता मिलती है। मिथुन- इस राशि वालो को शनि की अंतिम ढैय्या में यात्राओं से लाभ होता है। अचानक धन लाभ होने के योग बनते हैं। जलिय व्यापार से भी इस राशि वालों को लाभ मिलता है। सर्दी, जुकाम और ह्द्य रोग होते हैं। कर्क- कर्क राशि वालों का विवाह योग शनि की अंतिम ढैय्या में ही बनता है। इस ढैय्या में साझेदारी से लाभ होता है। सिंह- इस राशि वाले लोगों का जमा धन शेयर बाजार और बैंक में शनि की अंतिम ढैय्या में बढ़ता है। वाणी से शत्रु भी बढ़ते हैं। कन्या- शनि के अंतिम ढैय्या में कन्या राशि वालों का ऋण लेने या देने का योग बन रहा है। पैतृक धन लाभ होता है। आर्थिक स्तर बढ़ता है। धन लाभ के योग बनते हैं। शनि के इस अंतिम ढैय्या में ही कन्या राशि वालों को मान, सम्मान मिलता है और उन्नति होती है। तुला- तुला राशि वाले जातकों को साढ़ेसाती की अंतिम ढैय्या में विद्या और बोद्धिक कार्यों में सफलता मिलती है। वाहन मशीन और स्थायी सम्पत्ति का लाभ भी इसी समय में ही मिलता है। धन लाभ के योग भी बनते हैं। वृश्चिक- इस राशि वालों के लिए अंतिम ढैय्या का समय भूमि, प्रॉपर्टी से संबंधित लाभ के योग बनते हैं। वृश्चिक राशि के व्यवसायियों के लिए यह समय शुभ रहता है। लेकिन मानसिक अस्थिरता और माता के स्वास्थ्य की चिंता बनी रहेगी। धनु- धनु राशि वालों के लिए साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या शुभ और अनुकूल समय होता है। इस समय में इनको मेहनत से उन्नति और आर्थिक दृष्टि से लाभ होता है। इसी समय में इनके महत्पूर्ण लेन देन भी होते है जिनसे इनको लाभ मिलता है। मकर- आपकी राशि के स्वामी शनि की अंतिम ढैय्या में आपको उन्नति मिलेगी। इस राशि वालों को अचानक धन लाभ तो होता है लेकिन शारीरिक चोट का भी भय बना रहता है। पारीवारिक कार्यक्रमों में में धन व्यय होने के भी योग बनते हैं। कुंभ- इस राशि वालों को अंतिम ढैय्या में बाहरी क्षेत्रों से धन लाभ होता है। शनि की अंतिम ढैय्या इस राशि के आयात-निर्यात के व्यवसायियों के लिए बहुत शुभ होता है। इस समय में इनका धार्मिक यात्राओं के योग भी बनते हैं। मीन- इस समय में पुराने शत्रु उभरते हैं। अंतिम ढैय्या में इस राशि वालों के साथ धोखा और जालसाजी होने के योग बनते हैं। कार्यक्षेत्र में पदावनति के भी योग बनते हैं। यह समय इस राशि वालों के लिए प्रतिकूल रहता है।

Thursday, March 17, 2011

नवग्रह यंत्र की पूजा

जीवन में ग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है। कोई भी एक ग्रह प्रतिकूल असर डालता है तो इससे जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा भी होता है कि कई ग्रह एक साथ प्रतिकूल हो जाते हैं। ऐसे लोग परिश्रम करने के बाद भी सफल नहीं हो पाते। ऐसी स्थिति में उन्हें नवग्रह यंत्र की पूजा करना चाहिए। इस यंत्र के माध्यम से सभी ग्रहों का एक साथ विधिवत पूजन हो जाता है। इस यंत्र को सामने रखकर नौग्रहों की उपासना करने से सभी प्रकार के भय नष्ट होते हैं। शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है, व्यापार आदि में सफलता मिलती है, समाज में सम्मान बढ़ता है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए इस यंत्र को साथ विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए तथा हरिवंश पुराण की कथा करवानी चाहिए। चन्द्र देव को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के साथ भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए। मंगल देव को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के सम्मुख हनुमानजी पूजा करें। बुध को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के साथ दुर्गाजी की पूजा तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। बृहस्पति (गुरु) को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के साथ ब्रह्माजी की पूजा करनी चाहिए। शुक्र को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के साथ लक्ष्मीजी की पूजा करें। शनि अथवा राहु को को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के साथ भैरवजी की पूजा करें। केतु को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के साथ गणेशजी की पूजा करें।

Tuesday, March 8, 2011

गणेश सभी संकटों को टालने वाले

शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इन्हें प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। भगवान गणेश सभी संकटों को टालने वाले तथा सुख-समृद्धि प्रदान करने वाले हैं। ये भक्त की हर परेशानी का हल कर देते हैं। तंत्र शास्त्र के अंतर्गत पारद गणपति की पूजा करने का विधान है। पारद गणेश की पूजा करने से शीघ्र ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। बुधवार को भगवान गणेश का दिन माना गया है अत: इसी दिन पारद गणेश की स्थापना करना श्रेष्ठ होता है। पारद गणपति पर नित्य 11 पुष्प चढ़ाएं और इस प्रकार 11 दिन करें तथा ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र का जप करें तो सभी बाधाओं का नाश होता है और दरिद्रता समाप्त होती है। घर में पारद गणपति स्थापित हो तो हर बुधवार को उस पर गुलाब का एक पुष्प चढ़ाएं तथा उस फूल को अपने कानों में लगाएं तो आपकी सर्वत्र विजय होगी। यदि पारद गणपति के सामने ऊँ गणाधिपतये पूर्णत्व सिद्धिं देहि देहि नम: मंत्र का एक माला जप 11 दिन करें तो घर में अटूट धन प्राप्त होने की संभावनाएं बनती हैं। पारद गणपति को बुधवार के दिन अपनी दुकान में स्थापित करें व्यापार-व्यवसाय में निरंतर वृद्धि होती रहती है।

Monday, March 7, 2011

सिद्ध नागकेसर का फूल

तंत्र क्रियाओं के अंतर्गत कई प्रकार की वनस्पतियों का उपयोग भी किया जाता है। नागकेसर के फूल का उपयोग भी तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। नागकेसर को तंत्र के अनुसार एक बहुत ही शुभ वनस्पति माना गया है। काली मिर्च के समान गोल या कबाब चीनी की भांति दाने में डंडी लगी हुई गेरू के रंग का यह गोल फूल होता है। इसकी गिनती पूजा- पाठ के लिए पवित्र पदार्थों में की जाती है। तंत्र के अनुसार नागकेसर एक धनदायक वस्तु है। इस धन प्राप्ति के प्रयोग को अपनाकर धनवान बन सकते हैं- किसी पूर्णिमा को सोमवार हो उस दिन यह प्रयोग करें। किसी मन्दिर के शिवलिंग पर पांच बिल्वपत्रों के साथ यह फूल भी चढ़ाएं। इससे पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, दही, शक्कर, घी, गंगाजल, आदि से धोकर पवित्र करें। पांच बिल्व पत्र और नागकेशर के फूल की संख्या हर बार एक ही रखना चाहिए। यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक निरंतर रखें। आखिरी दिन चढ़ाए गये फूल तथा बिल्व पत्रों में से एक अपने घर ले आएं। यह सिद्ध नागकेसर का फूल आपकी किस्मत बदल देगा तथा धन संबंधी आपकी जितनी भी समस्याएं हैं, वह सभी समाप्त हो जाएंगी।
गोमती चक्र के उपयोग
तांत्रिक क्रियाओं में एक ऐसे पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में बहुत ही साधारण होता है . इसका प्रभाव असाधारण होता है। गोमती चक्र कम कीमत वाला ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं- पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर हो जाते हैं। धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने श्री नम: का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी। गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं। होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

Sunday, March 6, 2011

शिवलिंग पूजा - पीड़ा और दु:ख भी दूर हो सकते हैं

शिव उपासना से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। शिव का स्वरूप व चरित्र ही नहीं बल्कि शिव परिवार संतुलन और जीने की कला सिखाता है। शिव का वाहन बैल है तो पार्वती का सिंह। शिव के पुत्र गणेश का वाहन चूहा और कार्तिकेय का मोर है। शिव का जीवन ओघड़ की तरह है, जबकि माता पार्वती राजकन्या थी। इतने विरोधाभास के बाद भी शिव परिवार भक्ति आनंद और सुख देने वाली है। यह गृहस्थ जीवन के लिए आदर्श है। शिव पूजा गृहस्थ ही नहीं निराशा और परेशानियों से जूझ रहे हर व्यक्ति के लिए बहुत शुभ फल देती है। इसलिए जानते हैं सोमवार के दिन कामनाओं को पूरा करने वाले शिवलिंग पूजा के कुछ ऐसे उपाय जिनसे अनेक तरह की पीड़ा और दु:ख भी दूर हो सकते हैं -सोमवार को पंचमुखी शिवलिंग पर तीर्थ का जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे गंभीर रोग से पीडि़त व्यक्ति भी रोगमुक्त हो जाता है।सोमवार के दिन शिवलिंग का शहद से अभिषेक करने पर रोजगार और धन की इच्छा पूरी होती है। परिवार में कलह फैला हो तो सोमवार के दिन गाय के दूध से शिव का अभिषेक करें। दु:ख और कष्टों के कारण बुरी हालात से गुजर रहा व्यक्ति शिवलिंग का श्रृंगार लाल चंदन से करें। रोली का प्रयोग कतई न करे। शिवलिंग पर आंकड़े का फूल और धतूरा चढ़ाने से व्यर्थ के विवाद या शासकीय बाधाओं से मुक्ति मिलती है। कालसर्प दोष शांति के लिए शिवालय में राहु के 18000 जप करने चाहिए। दूध में भांग मिलाकर चढ़ाने से जीवन में किसी समस्या से हो रही उथल-पुथल थम जाती है। जीवन को तनावमुक्त और शांत रखने के लिए शिव पूजा का एक उपाय सबसे आसान माना जाता है, यह है शिव को पवित्र जल और बेलपत्र चढ़ाएं।

धन-वैभव में वृद्धि होने लगेगी

पैसा टिकता नहीं है। पैसा आते ही चला जाता है। घर में बरकत भी नहीं होती तथा हमेशा पैसों की तंगी में ही जीते हैं। अगर यही समस्या है तो इसका निदान मोती शंख से संभव है। मोती शंख का सही विधि- विधान से पूजन कर यदि तिजोरी में रखा जाए तो घर, कार्यस्थल, व्यापार स्थल और भंडार में पैसा टिकने लगता है। आमदनी बढऩे लगती है। मोती शंख का प्रयोग इस प्रकार करें- किसी बुधवार को सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने सामने इस शंख को रखें और उस पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बना दें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें-
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
मंत्र का जप स्फटिक माला से ही करें।
मंत्रोच्चार के साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें। इस बात का ध्यान रखें की चावल टूटे हुए ना हो। इस प्रयोग लगातार ग्यारह दिनों तक करें। इस प्रकार रोज एक माला का जप करें। उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में रखें और ग्यारह दिनों के बाद चावल के साथ शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें कुछ ही दिनों में आपके धन-वैभव में वृद्धि होने लगेगी। पैसा आएगा भी और टिकेगा भी।

Saturday, March 5, 2011

भवन निर्माण की संभावना

भाग्य में भवन निर्माण की संभावना है या नहीं इसकी जानकारी जन्मकुण्डली से मिल सकती है।
जैसे-
भूमि का ग्रह मंगल है। जन्मकुण्डली काचौथा भाव भूमि व भवन का है। इसके स्वामी (चतुर्थेश) का केंद्र त्रिकोण में होना उत्तम भवन प्राप्ति का योग दर्शाता है। जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी(चतुर्थेश) किसी शुभ ग्रह के साथ युति करके 1,4,5,7,9, 10 वें भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को स्वश्रम से निर्मित भवन प्राप्त होता है। जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी (चतुर्थेश) एवं लग्न का स्वामी(लग्नेश) चौथे भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अचानक निर्मित भवन की प्राप्ति होती है.जन्म कुण्डली के तीसरे भाव का स्वामी या तृतीय भाव का कारक मंगल चौथे भाव के स्वामी के साथ स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को भाई से भूमि या भवन मिलता है।
जन्म कुण्डली में शुक्र चौथे भाव में और चौथे भाव का स्वामी सातवें भाव में स्थित हो और दोनों परस्पर मित्र हों तो ऐसे जातक को स्त्री के द्वारा भूमि प्राप्त होती है। जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी व दसवें भाव का स्वामी एक साथ युति करके शनि एवं मंगल के साथ हो तो ऐसे व्यक्ति के पास कई भवन होते हैं। पहले व सातवें भाव का स्वामी पहले (लग्न) भाव में हो तथा चौथे भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को बिना प्रयास के भवन प्राप्त होता है।

Wednesday, March 2, 2011

भगवान रुद्र का अभिषेक

शिवरात्रि पर अधिकांश शिव भक्त शिवजी का अभिषेक करते हैं। बहुत कम ऐसे लोग हैं कि शिव का अभिषेक क्यों करते हैं? अभिषेक शब्द का अर्थ है स्नान करना या कराना। यह स्नान भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही ज्यादातर पहचाना जाता है। अभिषेक के कई प्रकार तथा रुप होते हैं। आजकल विशेष रूप से रुद्राभिषेक ही कराया जाता है। रुद्राभिषेक का मतलब है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। भगवान शिव को जलधाराप्रिय:, माना जाता है। भगवान रुद्र से सम्बंधित मंत्रों का वर्णन बहुत ही पुराने समय से मिलता है। रुद्रमंत्रों का विधान ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में दिये गए मंत्रों से किया जाता है। रुद्राष्टाध्यायी में अन्य मंत्रों के साथ इस मंत्र का भी उल्लेख है। अभिषेक में उपयोगी वस्तुएं: अभिषेक साधारण रूप से तो जल से ही होता है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
भगवान शिव का एक नाम शशिधर भी है। शिव अपने सिर पर चंद्र को धारण किया है इसी वजह से इन्हें शशिधर के नाम से भी जाना जाता है। भोलेनाथ ने मस्तक पर चंद्र को क्यों धारण कर रखा है? शिव पुराण में उल्लेख है कि जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया, तब 14 रत्नों के मंथन से प्रकट हुए। इस मंथन में सबसे विष निकला। विष इतना भयंकर था कि इसका प्रभाव पूरी सृष्टि पर फैलता जा रहा था परंतु इसे रोक पाना किसी भी देवी-देवता या असुर के बस में नहीं था। इस समय सृष्टि को बचाने के उद्देश्य से शिव ने वह अति जहरीला विष पी लिया। इसके बाद शिवजी का शरीर विष प्रभाव से अत्यधिक गर्म होने लगा। शिवजी के शरीर को शीतलता मिले इस वजह से उन्होंने चंद्र को धारण किया।शिवजी को अति क्रोधित स्वभाव का बताया गया है। शिवजी अति क्रोधित होते हैं तो उनका तीसरा नेत्र खुल जाता हैं तो पूरी सृष्टि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही विषपान के बाद शिवजी का शरीर और अधिक गर्म हो गया जिसे शीतल करने के लिए उन्होंने चंद्र आदि को धारण किया। चंद्र को धारण करके शिवजी यही संदेश देते हैं कि आपका मन हमेशा शांत रहना चाहिए। आपका स्वभाव चाहे जितना क्रोधित हो परंतु आपका मन हमेशा ही चंद्र की तरह ठंडक देने वाला रहना चाहिए। जिस तरह चांद सूर्य से उष्मा लेकर भी हमें शीतलता ही प्रदान करता है उसी तरह हमें भी हमारा स्वभाव बनाना चाहिए।