Saturday, January 8, 2011

शनि के कोप से बचने के लिए

शनिदेव की आराधना का दिन है शनिवार। इस शनिदेव के अशुभ फल को शांत करने एवं शुभ फल को बनाए रखने के लिए विभिन्न पूजन आदि कर्म किए जाते हैं। साथ ही इस दिन के लिए कई नियम भी बनाए गए हैं जिससे शनिदेव का बुरा प्रभाव हम पर न पड़े। इन्हीं नियमों में से एक है कि शनिवार के दिन घर में तेल खरीदकर नहीं लाना चाहिए।
शनि को न्यायधिश माना गया है। इसी वजह से यह काफी कठोर ग्रह है। इसकी क्रूरता से सभी भलीभांति परिचित हैं। इसी वजह से सभी का प्रयत्न रहता है कि शनि देव किसी भी प्रकार से रुष्ट ना हो। शनि गलत कार्य करने वालों को मॉफ नहीं करता। जिसका जैसा कार्य होगा उसे शनि वैसा ही फल प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि के कोप से बचने के लिए ऐसे कई कार्य मना किए गए हैं जो शनिवार के दिन हमें नहीं करने चाहिए। इन्हीं कार्यों में से एक कार्य यह वर्जित है कि शनिवार को घर में तेल लेकर नहीं आना चाहिए। क्योंकि तेल शनि को अतिप्रिय है और शनिवार को तेल का दान किया जाना चाहिए। इस दिन तेल घर लेकर आने से शनि का बुरा प्रभाव हम पर पड़ता है। यदि घर के किसी सदस्य पर शनि की अशुभ दृष्टि हो तो उसके लिए यह और भी अधिक बुरा फल देने वाला सिद्ध होगा। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन घर में तेल लेकर न आए बल्कि तेल का दान करें और शनि देव को तेल अर्पित करें।
शास्त्रों में शनि को न्याय का देवता बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि वह न्याय करने के साथ दण्ड भी देते हैं। यहीं नहीं शास्त्रों में शनि की वक्रदृष्टि से अनेक देवी-देवताओं के आहत होने का भी वर्णन है। इन कार्यों और रूपों से ही शनि क्रू र देवता माने जाते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक शनि सूर्य पुत्र हैं। किंतु माँ का अपमान के कारण उनका अपने पिता सूर्य से बैर हुआ। माता के अपमान न सहन कर पाने से शनि ने शिव की तपस्या कर सूर्य की भांति ही शक्तिशाली और नौ ग्रहों में श्रेष्ठ स्थान पाने का वर प्राप्त किया।
असल में शनिदेव की क्रूर छबि का मतलब यह नहीं है कि वह कष्ट, पीड़ा और दु:खों को देने वाले ही देवता है। बल्कि सत्य यह है कि शनिदेव बुरे कर्मों का ही दण्ड देते हैं। चूंकि हर व्यक्ति जाने-अनजाने मन, वचन और कर्म से कोई न कोई पाप कर्म कर ही देता है। इसलिए वह शनि के कोप का भागी भी बनता है।
शनिदेव बुरे कामों के लिए सजा भी देते हैं तो अच्छे कामों से प्रसन्न भी होते हैं। यही कारण है कि शनि को किस्मत चमकाने वाला देवता भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक शनि शुभ होने पर अपार सुख, समृद्धि देता हैं। साथ ही भाग्य विधाता भी बन जाता है।
शास्त्रों में शनि के चरित्र, स्वरूप बताते ऐसे ही दस नामों का वर्णन है। जिनका स्मरण, ध्यान करने से ही सभी संकट, पीड़ा, भय, बाधा और दु:खों का नाश हो जाता है। जानते हैं शनि के वह दस कल्याणकारी नाम - कोणस्थ - पिंगल - बभ्रु - कृष्ण - रौद्रान्त- यम- सौरि- शनैश्चर- मन्द- पिप्पलाश्रय
शनि देव को खुश करने के लिए, ये प्रयोग करें-
तेल उड़द और काले कपड़े का दान दें। कोऔं को चावल या खीर खिलाएं।किसी साधु को तवा या अंगीठी का दान दें। शनि देन को तेल चढ़ाएं। नीले कपडे पहने।हनुमान चालिसा का पाठ करें। हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाएं।

No comments:

Post a Comment