Saturday, February 26, 2011

जरूरी नहीं की राहू बुरा फल ही दे

राहु को पौराणिक ग्रंथों में सांप का सिर और केतु को उसका धड़ कहा गया है। राहु और केतु के बीच जब सब ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प नाम का अशुभ योग बनता है। राहु पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है। इसकी अपनी कोई राशि नहीं होती है, इसलिए कुंडली में यह जिस राशि और ग्रह के साथ में होता है उसके अनुसार फल देता है। राहु पाप ग्रह होने के कारण हमेशा बुरा फल दे यह जरूरी नही है। कुंडली में धन प्राप्त हाने के योग भी राहु के द्वारा बन सकते हैं
अष्टलक्ष्मी योग- जब किसी कुंडली में राहु छठे भाव में होता है और 1, 4, 7, 10वें भाव में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग बनता है। पापी ग्रह राहु, गुरु के समान अच्छा फल देता है। यह योग जिसकी कुण्डली में होता है वह व्यक्ति धार्मिक, आस्तिक एवं शान्त स्वभाव वाला होता है और यश व सम्मान के साथ-साथ धनवान हो जाता है।
लग्न कारक योग- अगर किसी का लग्र मेष, वृष या कर्क लग्न है तभी यह योग बनता है। कुण्डली में राहु दुसरे, 9वें या दसवें भाव में नहीं है तो उनकी कुंडली में ये योग होता है। कुंडली की इस स्थिति से राहु का अशुभ प्रभाव नही होता क्योंकि उपर बताए गए लग्र वालों के लिए राहु शुभ फल देने वाला होता है। ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है।
राहुकोप मुक्त योग- राहु पहले भाव में हो या तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में होता है और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह योग बनता है। ऐसे में व्यक्ति पर राहु के अशुभ प्रभाव नही पड़ते। ऐसे व्यक्तियों के सभी काम आसानी से होते हैं और उनके जीवन में कभी पैसों की कमी नही होती।
राहु की महादशा लगने पर मानते हैं कि जैसे सब कुछ खत्म हो गया। लेकिन ऐसा नहीं है। राहु और उसकी महादशा हर समय नुकसानदायक नहीं होती। राहु रंक को भी राजा बनाने की क्षमता रखता है। राहु की महादशा में विदेश जाने से बहुत लाभ होता है। विदेश का मतलब है वर्तमान निवास से दूर जाकर कार्य करने से सफलता मिलती है। अगर कुंडली में राहु , चौथे, दसवें, ग्यारहवें या नवें स्थान में अपने मित्र ग्रहों की राशि यानी शनि और शुक्र की राशि (मकर, कुंभ, वृषभ या तुला) में स्थित होता है तो बहुत सफलता दिलाता है।वहीं राहु यदि मिथुन राशि में हो तो कई ज्योतिष विद्वानों द्वारा उच्च का माना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है। यह किसी भी राशि का स्वामी नही है। लेकिन यह जिसके अनुकुल हो जाता है उसे जीवन मे बहुत मान सम्मान प्रतिष्ठा और पद प्राप्त होता है। राजनितिज्ञों के लिए तो राहु का अनूकुल होना अत्यधिक फायदेमंद होता है। राहु के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए शनिवार के दिन अपना उपयोग किया हुआ कंबल किसी गरीब को दान करें। काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। अमावस्या को पीपल पर रात में 12 बजे दीपक जलाएं। शनिवार को उड़द के बड़े बनाकर खाएं। -शिवजी पर जल, धतुरा के बीज, चढ़ाएं और सोमवार का व्रत करें।

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