शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने निम्न कर्म करें-
- लोहे की दो गोलियां लेकर आएं, एक गोली नदी में प्रवाहित करें और एक अन्य सदैव अपने साथ रखें।- काले घोड़े की नाल से बना छल्ला या अंगूठी सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें। यह प्रयोग बहुत कारगर सिद्ध होता है।- किसी बर्तन में तेल भरकर अपना चेहरा उसमें देखें और फिर उस तेल को दान कर दें।- राहु-केतु की लोहे या शीशे की मूर्तियों की विधि-विधान से पूजा करें।- पूजा में काले चावल, काले कपड़े, काले फूल व काले चंदन का प्रयोग करें।- यह पूजा पीपल के पेड़ के नीचे करेंगे तो जल्दी ही शुभ फल प्राप्त होगा।- पूजा के बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।- परिक्रमा करने के बाद कच्चा धागा पीपल पर लपेटे।- अब शनि देव से प्रार्थना करें कि हमारे कष्टों और दुखों से हमें मुक्ति दिलाएं।
- लोहे के कटोरे में तेल भरकर, काले तिल या काली चीजों का दान करें।- काला कपड़ा, काली गाय, काली बकरी या काले लोहे के बर्तन दान करें। शनि देव प्रसन्न होंगे। इन उपायों के अतिरिक्त प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।
- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा अवश्य करें।- यदि शनि की वजह अत्यधिक कष्ट हैं तो 43 दिनों तक लगातार कौओं को दही रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि बहुत जल्द ही आपके पक्ष में फल देना शुरू कर देगा।- कम से कम 9 शनिवार गरीबों को भोजन कराएं, भोजन में शनिदेव के प्रिय भोज्य सामग्री रखें।- प्रति शनिवार शनि के निमित्त व्रत-उपवास करें।- शुभ मुहूर्त देखकर शनि कवच धारण करें।- सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें।- आज आपके खाने तिल से बनी सामग्री अवश्य खाएं।- शनि संबंधी दान या उपहार बिल्कुल ग्रहण ना करें।- प्रतिदिन या हर शनिवार इष्टदेवता को काले या नीले रंग के फूल अवश्य चढ़ाएं।- पुरुष परस्त्री और स्त्री परपुरुष का साथ तुरंत छोड़ दें अन्यथा शनि और क्रूर हो जाएगा और आपको उसके बहुत बुरे फल प्राप्त होंगे।- कम से कम सात शनिवार एक-एक नारियल नदी में प्रवाहित करें।- घर में पुरानी लकड़ी और कोयला हो तो उसे तुंरत बाहर कर दें।- शनिवार को जमीन में काजल की डिबिया गाढ़ दें।- किसी सूखे कुएं में प्रति शनिवार दूध डालें।
Saturday, November 6, 2010
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