आपकी कुंडली में कैसा है भाग्य स्थान?
अपने जीवन पर भाग्य या किस्मत का प्रभाव सभी मानते हैं। कहते हैं कर्म से ही भाग्य बनता है लेकिन कई बार पूरी मेहनत से अच्छे कार्य करने के बाद भी संतोषजनक फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में यही बात सामने आती है कि हमारे भाग्य में यह परिणाम ही निर्धारित किया गया होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कड़ी मेहनत के बाद भाग्य की कितनी मदद मिलेगी यह भी मालूम किया जा सकता है।
- ज्योतिष में जन्म कुण्डली का नवम भाव भाग्य का होता है। यह स्थान यदि दूषित अथवा अशुभ फल देने वाला हो तो व्यक्ति सदैव भाग्यहीन रहता है।- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में भाग्य के नवम स्थान पर यदि चंद्र हो या उसकी दृष्टि हो तो वह भाग्यशाली होता है।- यदि भाग्य का स्थान नवम भाव में राहु, मंगल, शनि यदि शत्रु राशि युक्त या नीच के हो तो व्यक्ति भाग्यहीनता से परेशान हो जाता है। उसे छोटे-छोटे कार्यों में भी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
Sun, शुक्र, बुध भाग्य स्थान पर सौभाग्यवती नारी दिलाते हैं। जो व्यक्ति के भाग्य को उच्च शिखर तक ले जाती है।- भाग्य स्थान पर गुरु मान-सम्मान और वैभव दिलाता है। ऐसे व्यक्ति को हमेशा भाग्य का साथ मिलता है और वह कई सफलताएं प्राप्त करता है। - भाग्य स्थान पर केतु सामान्य फल देने वाला होता है।
यदि आपको भाग्य का साथ नहीं मिल रहा है तो किस्मत बदलने में केवल ईश्वर ही सक्षम है। अत: अपने इष्टदेव की प्रतिदिन पूजन, अर्चन, अराधना करें। कुंडली के अशुभ ग्रह का ज्योतिषीय उपचार करें।
Friday, October 15, 2010
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