कौन हैं लक्ष्मी, काली और सरस्वती ?
सेकड़ों देवी-देवताओं वाले हिन्दू धर्म को अज्ञानतावश कुछ लोग अंधश्रृद्धा वाला धर्म कह देते हैं, किन्तु संसार में सर्वाधिक वैज्ञानिक धर्म कोई है तो वह सनातन हिन्दू धर्म ही है। सामान्य इंसान भी धर्म के मर्म यानि गहराई को समझ सके, यह सौच कर ही ऋषि-मुनियों ने विश्व की विभिन्न सूक्ष्म शक्तियों को देवी-देवताओं के रूप में चित्रित किया है। ईश्वर या परमात्मा अपने तीन कर्तव्यों को पूरा करने के लिए तीन रूपों में प्रकट हुआ- ब्रह्म, विष्णु और महेश। ब्रह्म को रचनाकार, विष्णु को पालनहार और महेश को संहार का देवता कहा गया है। इस त्रिमूर्ति की तीन शक्तियां हैं- ब्रह्म की महासरस्वती, विष्णु की महालक्ष्मी और महेश की महाकाली।इस तरह परमात्मा अपनी शक्ति से संसार का संचालन करता है।
हम किसी भी वस्तु के बारे में उसका इतिहास इसी क्रम से जानते हैं- उसका निर्माण, उसकी अवस्था और उसका अंत। इसी क्रम में ब्रह्म-विष्णु-महेश का क्रम भी त्रिमूर्ति में कहा गया है। किंतु जब जीवन में शक्ति की उपासना होती है तो यह क्रम उलटा हो जाता है - महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती।
संहार- हम उन बुराइयों का संहार करें, जो बीमारी की तरह हमारे समूचे जीवन को नष्ट कर देती है। बीमारी को जड़ से काट कर जीवन को बचाएं। पोषण- जब बीमारी कट जाए तो शरीर की ताकत बढ़ाने वाला आहार लेना चाहिए। बुराइयां हटाकर जीवन में सद्गुणों का रोपण करें, जिससे आत्मविश्वास मजबूत हो।
रचना- जब जीवन बुराइयों से मुक्त होकर सद्गुणों को अपनाता है तो हमारे आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण शुरू होता है। संसार संचालन के लिए परमात्मा को अतुलनीय शक्ति, पर्याप्त धन और निर्मल विद्या की आवश्यकता होती है, इसीलिए उसकी शक्ति महाकाली का रंग काला, महालक्ष्मी का रंग पीला (स्वर्ण) और सरस्वती का रंग सफेद (शुद्धता) है। हमें जीवन में यही मार्ग अपनाना चाहिए अर्थात समाज से बुराइयों का नाश और सदाचार का पोषण करें, तभी आदर्श समाज का नवनिर्माण होगा। यह हम तब ही कर सकते हैं जब हमारे पास वीरता, धन और शिक्षा जैसी शक्तियां हों।
Sunday, October 10, 2010
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