विवाह होने के बाद दंपत्ति अपने परिवार को बढ़ाने के सपने देखने लगते हैं। सभी दंपत्तियों की मनोकामना होती है उन्हें कोई मम्मी-पापा कहने वाला हो।
वैसे तो अधिकांश लोगों को संतान के संबंध कोई खास परेशानियों नहीं होती परंतु कुछ लोगों को विवाह के लंबे समय के बाद भी संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता या कुछ दंपत्ति को आजीवन ही संतान के सुख से वंचित रहना पड़ता है। कई बार स्त्री का गर्भ ठहरने के बाद किसी वजह से गर्भपात हो जाता है या ऐसी ही कोई अन्य समस्या उत्पन्न हो जाती है।
शास्त्रों के अनुसार संतान पैदा नहीं होने के संबंध में दस कारण बताए गए हैं। इन दस कारणों में नौ कारणों के अतिरिक्त दसवां कारण ज्योतिष समस्या से संबंधित है।
ग्रह दोष की वजह से भी कई बार दंपत्तियों को संतान उत्पन्न होने में विलंब होता है या संतान उत्पन्न नहीं हो पाती। पांचवा भाव यदि राहु, गुरु, शनि से ग्रस्त हो तथा इन पर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि भी न हो तो संतान उत्पत्ति में परेशानी होती है या गर्भपात हो जाते हैं। ऐसे परिस्थिति में संबंधित ग्रहों के उपचार से संतान उत्पत्ति आसान हो सकती है।
पंचम भाव में यदि गुरु स्थित हो तो संतान में देरी होती है। साथ ही यदि पति या पत्नी में से किसी को गुरु की महादशा भी हो तो संतान विवाह के सोलह वर्षों के बाद होने की संभावना होती है। पंचम भाव में यदि गुरु की दृष्टि हो तो संतान विवाह के 8-10 वर्षों के बाद उत्पन्न होती है। राहु या शनि से युक्त पंचम स्थान बार-बार गर्भस्राव या हिनता का कारक होता है।
संतान सुख प्राप्ति के लिए यह उपाय करें-
-संतान में देरी हो तो पुत्रदा एकादशी व्रत करें।-हरिवंश पुराण का पाठ करें।-कार्तिक चैत्र, माद्य माह में प्रतिपदा से नवमी (शुक्लपक्ष) रामायण का नवाह्नपरायण करें।- यदि पति या पत्नी की कुंडली में पंचम भाव में गुरु हो तो उसका उपचार कराएं।- यदि कुंडली में छठे भाव में नीच का शनि हो तो उसकी शांति हेतु शनि की विशेष पूजा कराएं।- शिवरात्री पर शिव-पार्वती का रातभर अभिषेक कराएं।- अनाथालय में दान दें और गरीब बच्चों को खाना खिलाएं।- वात, पित्त, कफ की बीमारी हो तो उसका इलाज कराएं।
Friday, October 22, 2010
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