-आचार्य सोमेश परसाई
यह मुख्य विषय प्रारब्ध एवं भाग्य संबंधी होता है। किंतु ठीक उपाए कर लिए जाएं तो संतान की प्राप्ती निश्चित होती है।
पहला उपाए- संतान गोपाल मंत्र के सवा लाख जप शुभ मुहूर्त में शुरू करें। साथ ही बालमुकुंद (लड्डूगोपाल जी) भगवान की पूजन करें। उनको माखन-मिश्री का भोग लगाएं। गणपति का स्मरण करके शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करके निम्न मंत्र का जप करें।
मंत्र
ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे,
तनयं कृष्ण त्वामहम् शरणंगता: क्लीं ऊं।।
दूसरा उपाए- सपत्नीक कदली (केले) वृक्ष के नीचे बालमुकुंद भगवान की पूजन करें। कदली वृक्ष की पूजन करें, गुड़, चने का भोग लगाएं। 21 गुरुवार करने से संतान की प्राप्ती होती है।
तीसरा उपाए- 1 प्रदोष का व्रत करें, प्रत्येक प्रदोष को भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करने से संतान की प्राप्त होती है।
चौथा उपाए- गरीब बालक, बालिकाओं को गोद लें, उन्हें पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, खाने पीने का खर्चा दो वर्ष तक उठाने से संतान की प्राप्त होती है।
पांचवां उपाए- आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाने से संतान की प्राप्ति होती है।
Friday, October 22, 2010
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