Monday, October 25, 2010

क्या प्रभाव देती हैं सूर्य-शनिकी युति

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में स्थित हो तो अधिकांशत: इसके बुरे प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि लग्न में स्थित है तो वह व्यक्ति दुराचारी, बुरी आदतों वाला, मंदबुद्धि और पापी प्रवृत्ति का होता है।- यदि शनि और सूर्य चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति नीच, दरिद्र और भाइयों तथा समाज में अपमानित होने वाला होता है। यदि सूर्य और शनि सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति आलसी, भाग्यहीन, स्त्री और धन से रहित, शिकार खेलने वाला और महामूर्ख होता है।- यदि दशम भाव में यह दोनों ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में नौकरी करने वाला होता है। यदि इन्हें अपार धन की प्राप्ति भी हो जाए तो वह चोरी हो जाता है।
इन बुरे प्रभावों से बचने के उपाय
- प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य हो जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।- प्रति मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। शनि और सूर्य से संबंधित वस्तुएं दान करें तथा ऐसी वस्तुएं कभी दान या उपहार में स्वीकार न करें।- गरीबों को मदद करें।- महिलाओं का सम्मान करें और पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें।- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।- शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें।- हनुमान चालिसा का पाठ प्रतिदिन करें।

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