हर व्यक्ति के लिए पिता सबकुछ होते हैं। पिता हाथ सिर पर हो तो कैसी भी समस्या हो, पुत्र सहज ही उसका हल निकाल लेता है। पिता अपनी संतान को हर कष्ट से दूर रखता है। ऐसे में यदि किसी ग्रह योग की वजह से पिता का हाथ सिर से उठ जाए तो किसी भी संतान के लिए वह समय सबसे अधिक पीड़ा देने वाला होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का अध्ययन करने पर ऐसे योगों का पता लगाया जा सकता है जिससे पिता की मृत्यु यदि जल में होने की संभावना हो। ऐसे योग की जानकारी होने के बाद संतान द्वारा आवश्यक उपाय कर ऐसे बुरे योगों का टाला जा सकता है।
पिता की मृत्यु जल में होने की संभावना बताते है ये योग
- रावण संहिता के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अष्टम स्थान पर मीन राशि में सूर्य और चंद्र एक साथ स्थित हो और इनपर किसी पापग्रह (शनि, राहु, केतु और कभी-कभी मंगल भी पापग्रह की श्रेणी में आता है।) की ग्रह की दृष्टि हो, तो इस योग के प्रभाव से उस व्यक्ति के पिता को पानी से दूर रहना चाहिए।
- यदि किसी की कुंडली में मंगल और राहु से युक्त शनि हो या चतुर्थ भाव में शनि स्थित हो, तो उस व्यक्ति के पिता को जल से भय होता है।
इस योग का प्रभाव खत्म करने के उपाय
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, फिर अक्षत और बिल्वपत्र चढ़ाएं। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहें।- महाकाललेश्वर मृत्यु के भय को दूर करने वाले हैं, अत: प्रतिदिन इनकी आराधना इस मंत्र से करें: ऊँ महाकालेश्वरराय विद्महे, महादेवाय धीमही, तन्नौ रुद्र: प्रचोदयात्।- काल को जीतने वाले महादेव के रुद्राष्टक का पाठ करें।- कुंडली के दूषित ग्रह का सही उपचार कराएं।- पिता को जल अर्थात् गहरे पानी, नदी, तालाब, कुएं आदि से दूर रखें।
Wednesday, October 20, 2010
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