प्रदूषण के इस दौर में त्वचा रोग सर्वाधिक पाया जाने वाला रोग है। यह रोग शहर में ज्यादा होता है। खासतौर पर युवा पीढ़ी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है। ज्योतिष में इसका कारक ग्रह बुध है तथा कुण्डली का षष्ठ भाव इसमें प्रमुख होता है। इसके अलावा शनि, राहु, मंगल के अशुभ होने पर तथा सूर्य, चंद्र के क्षीण होने पर त्वचा रोग होते हैं।
सप्तम स्थान पर केतु भी त्वचा रोग का कारण बन सकता है। बुध यदि बलवान है तो यह रोग पूरा असर नहीं दिखाता, वहीं बुध के कमजोर रहने पर यह कष्टकारी हो सकता है।
लक्षण::- पानी, मवाद से भरी फुंसी व मुंहासे चंद्र के कारण होती है- मंगल के कारण रक्त विकार वाली फुंसी व मुंहासे होती है।- राहु के प्रभाव से कड़ी दर्द वाली फुंसी होती है।
उपाय::- षष्ठ स्थान पर स्थित अशुभ ग्रह का उपचार कराएं।- सूर्य मंत्रों या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।- शनिवार को कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं।- सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।- पारद शिवलिंग का पूजन करें।
Saturday, October 23, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment