शरद पूर्णिमा पर चंद्रदर्शन और पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार मन का स्वामी चंद्र है। इसलिए चन्द्र हमारे विचार और व्यवहार को नियत करता है। व्यक्ति की जन्मकुण्डली में चन्द्र कमजोर होने पर मन में बेचैनी, उतावलापन, अकारण गुस्सा करना, बिना कारण कलह और कुविचार पैदा होते हैं। मन के साथ यह तन स्वास्थ और सौंदर्य भी चंद्र के बली या नीच होने पर निर्भर है।
व्यावहारिक जीवन पर भी चंदमा का असर व्यापार, नौकरी पर होता है। इसलिए खासतौर पर शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा शुभ फलदायी होती है। इसलिए मन और जीवन को स्थिर करने के लिए जानते है चंद्र पूजा की सरल विधि -
- सबेरे स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें। चन्द्रमा को सफेद वस्तुएं बहुत प्रिय है। इसलिए चन्द्र की चांदी की मूर्ति, सफेद चावलों का अष्टदल कमल बनाकर उस पर स्थापित करें। - उस मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराने के बाद सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक लगाएं।- चांदी के पात्र में घी का दीपक जलाकर रखें और नैवेद्य के रुप में मावे की मिठाइयां, खीर जैसे सफेद वस्तुओं का प्रयोग करें।-चंद्र की सोलह पूजन सामग्रियों सफेद फूल, गंध, अक्षत, धूप, दीप आदि से पूजा करें। पूजा के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें।- रात में छत या ऐसे खुले स्थान पर जाएं, जहां चंद्रमा की अच्छी रोशनी आ रही हो। - चंद्रदर्शन होने पर अगरबत्ती-दीपक लगाकर पूजा करें और सफेद सामग्री या दूध से बने व्यंजन या मिठाई जैसे खीर, रबड़ी आदि का भोग लगाएं। दीपक को भोग के पास ही रख दें। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की ऐसी पूजा से शरीर और मन के विकार का दूर होते हैं। साथ ही व्यापारी वर्ग, नौकरीपेशा और बेरोजगार लोगों को शीघ्र धन लाभ और पदोन्नति मिलती है।
Friday, October 22, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment