Saturday, October 9, 2010

Astro

क्या है भद्रा?
जब कोई मांगलिक, शुभ कर्म या व्रत-उत्सव की घड़ी आती है, तो पंचक की तरह ही भद्रा योग को भी देखा जाता है। क्योंकि भद्रा काल में मंगल और उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है। हालांकि हर धार्मिक व्यक्ति भद्रा के विषय में पूरी जानकारी नहीं रखता, किंतु परंपराओं में चली आ रही भद्रा काल की अशुभता को मानकर शुभ कार्य नहीं करता। इसलिए जानते हैं कि आखिर क्या होती है - भद्रा।
पुराण अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी क्रूर बताया गया है। इस उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उसे कालगणना या पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। जहां उसका नाम विष्टी करण रखा गया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया। किंतु भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनैतिक चुनाव कार्यों सुफल देने वाले माने गए हैं। अब जानते हैं पंचांग की दृष्टि भद्रा का महत्व।
हिन्दू पंचांग के पांच प्रमुख अंग होते हैं। यह है - तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या ग्यारह होती है। यह चर और अचर में बांटे गए हैं। चर या गतिशील करण में बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि गिने जाते हैं। अचर या अचलित करण में शकुनि, चतुष्पद, नाग और किस्तुघ्न होते हैं। इन ग्यारह करणों में सातवां करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचाग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है।
भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली होता है। किंतु इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टी करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। धर्मग्रंथो और ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। इसी दौरान जब यह पृथ्वी या मृत्युलोक में होती है, तो सभी शुभ कार्यों में बाधक या या उनका नाश करने वाली मानी गई है। लेकिन अब यह जानना भी जरुरी है कि कैसे मालूम हो कि भद्रा पृथ्वी पर विचरण कर रही है, तो शास्त्रों में यह जानकारी भी स्पष्ट है। जिसके अनुसार -
जब चंन्द्रमा, कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टी करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते है। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।
भद्रा का वर्णन हिन्दू धर्म के पुराणों में भी मिलता है। भद्रा कौन है, उसका स्वरुप क्या है, वह कि सकी पुत्री है। इस बारे में विस्तार से जाने इसी वेबसाईट के भद्रा संबंधित अन्य आर्टिकल में।

No comments:

Post a Comment