Sunday, October 24, 2010

यह है हनुमानजी की स्तुति

सनातन धर्म में श्री रामचरित मानस न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसके चरित्र और पात्र आदर्श व्यावहारिक जीवन के सूत्रों और संदेशों को भी उजागर करते हैं। इन पात्रों में रामभक्त श्री हनुमान के चरित्र में भी कर्म, समर्पण, पराक्रम, प्रेम, परोपकार, मित्रता, वफादारी जैसे अनेक आदर्शों के दर्शन होते हैं।
श्री हनुमान के दिव्य और संकटमोचक चरित्र के दर्शन श्री रामचरित मानस के सुन्दरकाण्ड में होता है। इसलिए सुन्दरकाण्ड का पाठ व्यावहारिक जीवन में आने वाली संकट, विपत्तियों और परेशानियों को दूर करने में बहुत प्रभावी माना जाता है। किंतु अगर समयाभाव से पूरा पाठ संभव न हो तो सुन्दरकाण्ड में दी गई श्री हनुमान की छोटी सी स्तुति का नियमित पाठ आपकी दु:ख व कष्टों से रक्षा करने के साथ हर मनोरथ पूरे कर देता है। यह स्तुति शनि पीड़ा के बुरे प्रभाव से भी बचाती है।
इच्छापूर्ति और शनि पीड़ा से रक्षा के लिए श्री हनुमान उपासना के विशेष दिन शनिवार और मंगलवार को इस हनुमान स्तुति का पाठ अवश्य करें।
- शनिवार या मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन बोल, विचार और व्यवहार को पवित्र रखें।
- घर या मंदिर में जाकर श्री हनुमान को गंध, सुगंधित तेल व सिंदूर, लाल फूल, अक्षत चढ़ाएं।
- गुग्गल अगरबत्ती या धूप बत्ती और घी के दीप जलाकर पूजा करें। केले, गुड़ या चने का भोग लगाएं।
- इसके बाद सुन्दरकाण्ड की इस छोटी-सी स्तुति का श्रद्धा और आस्था से पाठ करें -

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

श्री हनुमान की इस स्तुति का नित्य पाठ दैनिक जीवन के कामों में आने वाली बाधा और परेशानियों को भी दूर कर व्यर्थ चिंता और तनाव से बचाती है या यूं कहें कि यह छोटी सी हनुमान स्तुति हर मुश्किलों और मुसीबतों से लडऩे का फौलादी जज्बा देती है।

शिव के श्रेष्ठ अवतार हैं हनुमानSource:

भगवान शंकर का हनुमान अवतार सभी अवतारों में श्रेष्ठ है। इस अवतार में भगवान शंकर ने एक वानर का रूप धरा था। शिव का यह अवतार बल, बुद्धि विद्या, भक्ति व पराक्रम का श्रेष्ठ उदाहरण है। इस अवतार से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि यदि आप अपनी क्षमता को पहचाने तो सब कुछ संभव है। जिस तरह हनुमान ने अपनी क्षमता को जानकर समुद्र पार किया था उसी तरह हमारे लिए भी कुछ भी असंभव नहीं है। धर्म के पथ पर चलते हुए राम का हनुमान ने साथ दिया था उसी तरह यदि हम धर्म के मार्ग पर चलें तो भगवान हमारी सहायता भी अवश्य करेंगे।
ऐसे हुआ हनुमान का जन्म
विष्णुजी के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्तऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर गौतम की पुत्री अंजनी के गर्भ में प्रवेश कराया जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्री हनुमानजी उत्पन्न हुए। हनुमान जी सब विद्याओं का अध्ययन कर वे पत्नी वियोग से व्याकुल रहने वाले सुग्रीव के मंत्री बन गए। उन्होंने पत्नीहरण से खिन्न व भटकते रामचंद्र जी की सुग्रीव से मित्रता कराई। सीता की खोज में समुद्र को पार कर लंका गए और वहां उन्होंने अद्भुत पराक्रम दिखाए। हनुमान जी ने राम-रावण युद्ध ने भी अपना पराक्रम दिखाया और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए। अहिरावण को मारकर लक्ष्मण व राम को बंधन से मुक्त कराया। इस प्रकार हनुमान अवतार लेकर भगवान शिव ने अपने परम भक्त श्रीराम की सहायता की।

1 comment:

  1. श्रीमान अनिलजी, आपकी रुचि ज्योतिष शास्त्रमेंभी है, यह जानकर बहोत ख़ुशी हुई, इसी विषयको लेकर आपसे वार्तालाप करनेकी इच्छा है, आपसे विनंती है, कृपया आपका ईमेल पता virencmehta@gmail. com पर भेजनी की महेरबानी करे।

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